डोनाल्ड ट्रंप के फैसले से भारत को चाबहार पोर्ट पर परेशानी

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डोनाल्ड ट्रंप के फैसले से भारत को चाबहार पोर्ट पर परेशानी
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अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले भारत के लिए काफी मुश्किल भरे साबित हो रहे हैं। ट्रंप प्रशासन ने एक फैसला लिया है, जिसके तहत ईरान के चाबहार बंदरगाह में निवेश के लिए भारत पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

वाशिंगटन: ईरान में स्थिति चाबहार पोर्ट पर डोनाल्ड ट्रंप के फैसले ने भारत को सकते में डाल दिया है। अमेरिका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले भारत के लिए काफी मुश्किल भरे साबित हो रहे हैं। अब ट्रंप प्रशासन ने एक फैसला लिया है, जिसके तहत ईरान के चाबहार बंदरगाह में निवेश के लिए भारत पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फैसले पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। जिसके बाद केंद्र सरकार ने ट्रंप के इस फैसले और इस फैसले से होने वाले असर को लेकर फिलहाल कुछ भी नहीं कहा है। डोनाल्ड ट्रंप

ने जिस फैसले पर हस्ताक्षर किया है, उसका शीर्षक 'नेशनल सिक्योरिटी प्रेसिडेंशियल मेमोरेंडम' है, जिसमें खास तौर पर चाबहार बंदरगाह का नाम लिखा गया है। इस फैसले में ईरान सरकार पर अधिकतम दबाव बनाने की बात कही गई है.डोनाल्ड ट्रंप ने अपने विदेश मंत्री मार्को रुबियो और अमेरिका की वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट को आदेश दिया है, कि वो ईरान पर अधिकम दबाव बनाए। जिसके तहत ईरानी तेल, बंदरगाहों और ईरान से होने वाले कारोबार, जिससे उसे पैसे मिलते हैं, उसके तमाम रास्ते बंद कर दिए जाएं। डोनाल्ड ट्रंप का फैसला ईरान को आर्थिक तौर पर अपंग बनाने की है। इसके अलावा, डोनाल्ड ट्रंप ने ये भी निर्देश दिया है, कि अगर उनकी हत्या की कोशिश के लिए ईरान जिम्मेदार पाया जाता है, तो उसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाना चाहिए।\ईरान पर प्रतिबंध, भारत पर कितना असर?\डोनाल्ड ट्रंप के आदेश में कहा गया है, कि 'अमेरिका ने ईरान को अभी तक जिन प्रतिबंधों में छूट दी है, देश के विदेश मंत्री उन छूट को संशोधित करेंगे या उसे रद्द कर देंगे। खास तौर पर वो तमाम रास्ते, जिनसे ईरान को आर्थिक फायदा पहुंचता हो, उन सभी रास्तों को बंद किया जाएगा। इसमें ईरान की चाबहार बंदरगाह प्रोजेक्ट को लेकर दी जा रही छूट भी शामिल है।' आपको बता दें, कि भारत ने ईरान और अफगानिस्तान के साथ 2016 के त्रिपक्षीय समझौते के तहत चाबहार बंदरगाह पर शाहिद बेहेश्टी टर्मिनल विकसित किया है। वहीं, जो बाइडेन के प्रशासन के दौरान अमेरिका ने चाबहार पोर्ट को लेकर भारत को स्पेशल छूट दी थी, जिसे अब डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने हटाने का आदेश दिया है।\वाइट हाउस की तरफ से जारी एक आदेश में कहा गया है, कि 'अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी सभी संबंधित कारोबारी क्षेत्रों, जिनमें शिपिंग, इंश्योरेंस और बंदरगार ऑपरेशन शामिल हैं, उनपर प्रतिबंध लगाने के लिए आदेश जारी करेंगे। इस आदेश में ईरान या ईरान समर्थिक आतंकी संगठनों के संबंध में अमेरिकी प्रतिबंधों का जानबूझकर उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए जोखिम के बारे में बताया जाएगा।' यानि प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अमेरिका क्या कार्रवाई करेगा, इसकी जानकारी आगे दी जाएगी।चाबहार पोर्ट पर ट्रंप के फैसले भारत को परेशान करने वाले हैं। क्योंकि भारत इस बंदरगाह को सेन्ट्रल एशिया के लिए द्वार मानता है। सबसे बड़ी समस्या ये है, कि प्रतिबंध लगने के बाद अफगानिस्तान और सेन्ट्रल एशिया में सामान बेचने के लिए सिर्फ पाकिस्तान वाला रास्ता बचता है, लिहाजा ट्रंप के इस फैसले से पाकिस्तान फूले नहीं समा रहा होगा।\क्या भारत डोनाल्ड ट्रंप को मना पाएगा?\द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय विदेश मंत्रालय ने डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले पर फिलहाल टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। ट्रंप का ये फैसला उस वक्त आया है, जब अमेरिका ने अवैध भारतीय आप्रवासियों को वापस भेजना शुरू कर कर दिया है। माना जा रहा है, कि अब सारी उम्मीदें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका दौरे से बची हैं। प्रधानमंत्री 12 से 14 फरवरी के बीच अमेरिका के दौरे पर होंगे। इस दौरान मोदी, डोनाल्ड ट्रंप से चाबहार पोर्ट पर बातचीत कर सकते हैं। फिलहाल भारतीय अधिकारियों का कहना है कि वो डोनाल्ड ट्रंप के आदेश का अध्ययन कर रहे हैं। इसके अलावा, भारतीय अधिकारी अब इस बात पर रिपोर्ट बना रहे हैं कि चाबहार पोर्ट पर अगर ट्रंप प्रशासन से छूट चाहिए, तो वो छूट किस तरह की होनी चाहिए और इसके लिए पैरवी किस तरह से की जाए।\डोनाल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल में भी भारत को ईरान के मामले में परेशान होना पड़ा था। ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में अमेरिका को ईरान के साथ किए गये परमाणु समझौते, जिसे संयुक्त व्यापक कार्य योजना या जेसीपीओए के रूप में जाना जाता है, उससे बाहर निकाल लिया था। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने ईरान के खिलाफ कई सख्त प्रतिबंध लगा दिए थे। इसका नतीजा ये निकला कि भारत को ईरान से तेल खरीदना बंद करना पड़ा था। हालांकि, पिछली बार डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को अफगानिस्तान में विकास कार्यक्रम चलाने और चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए प्रतिबंधों से छूट दी थी। लिहाजा, भारत इस बार भी ऐसी उम्मीद कर रहा होगा।\पिछली बार भारत को हुआ था काफी नुकसान\डोनाल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान भारत ने डोनाल्ड ट्रंप के ईरान से तेल नहीं खरीदने के फैसले को मान लिया था। जिसका डायरेक्ट असर भारत की तेल कंपनियों को हुआ। भारत के लिए ईरान से तेल खरीदना काफी सस्ता पड़ता था। वहीं, ईरानी कच्चे तेल को रिफाइन करने में भी काफी कम खर्च आता था। लेकिन तेल नहीं खरीदने के लिए राजी होने के बाद ही भारत को ट्रंप प्रशासन ने चाबहार के विकास की इजाजत मिली थी। लेकिन अब भारत के लिए मुश्किलें खड़ी हो गईं हैं। भारत ने जो बाइडेन के चार सालों के कार्यकाल के दौरान भी ईरान से तेल नहीं खरीदा।\चाَبہار بندرگاہ भारत کے لیے افغانستان کے ذریعےcentraal Asia کا دروازہ کھولتی ہے۔ یہ پورٹ کاروبار کے لیے भारत کی پاکستان پر انحصار کو ختم کرتا ہے۔ اس لیے چاَبہار भारत کے لیے انتہائی اہم پورٹ ہے۔ مئی 2024 میں بھارت کے شپنگ منیستر سروانند سونوال نے چاَبہار ٹرمینل کے ترقی کے لیے ایران کے ساتھ 10 سالوں کے معاہدے پر دستخط کیے تھے۔ جس پر امریکہ نے سخت تنقید کی تھی۔ بھارت نے اشارے دیے تھے، وہ اسے بین الاقوامی شمال-جنوب تجارت کے راستے کے طور پر ترقی دے گا۔

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