सुख-दुख अतिथि हैं, बारी-बारी आएंगे, चले जाएंगे। अगर वे नहीं आएंगे तो हम अनुभव कहां से लाएंगे। कटु सत्य है कि सलाह के सौ शब्दों से ज्यादा अनुभव की ठोकर इंसान को मजबूती देती है। तजुर्बा इंसान को गलत फैसलों से बचाता है, मगर तजुर्बा भी गलत फैसलों से ही आता...
राजेंद्र प्रसाद हमारा जीवन अनेक पड़ावों से गुजरता है। उसको सार्थकता से पार करने के लिए हमारे व्यक्तित्व के निखार और निर्माण के लिए बहुत-से कारकों की आवश्यकता पड़ती है। अगर कहीं भी व्यक्तित्व की नींव ढीली हुई तो हम जीवन के संघर्षों का मुकाबला उतनी मजबूती से नहीं कर पाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति में कुछ न कुछ विशेष गुण या विशेषताएं होती हैं। अपने गुणों और विशेषताओं के कारण ही प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे से भिन्न होता है। व्यक्तित्व नवनिर्माण के लिए अन्य बातों के अलावा अनुभव, धीरज, व्यवहार और विवेक मुख्य...
समस्याएं सदा नहीं रहतीं, लेकिन वे हमारे अनुभव की किताब पर हस्ताक्षर करके चली जाती हैं। सुख-दुख अतिथि हैं, बारी-बारी आएंगे, चले जाएंगे। अगर वे नहीं आएंगे तो हम अनुभव कहां से लाएंगे। कटु सत्य है कि सलाह के सौ शब्दों से ज्यादा अनुभव की ठोकर इंसान को मजबूती देती है। तजुर्बा इंसान को गलत फैसलों से बचाता है, मगर तजुर्बा भी गलत फैसलों से ही आता है। तजुर्बा अच्छा है, अगर उसका अधिक मूल्य न चुकाना पड़े। अच्छे फैसले अनुभव से आते हैं, लेकिन बुरे फैसलों से अनुभव आता है। इसलिए पछताना नहीं चाहिए, बल्कि अपनी...
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