धान की इन किस्मों को कम पानी है जरूरत, ज्यादा सिंचाई से पैदवार होता है प्रभावित, इन बातों का जरूर रखें ख्या...

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धान की इन किस्मों को कम पानी है जरूरत, ज्यादा सिंचाई से पैदवार होता है प्रभावित, इन बातों का जरूर रखें ख्या...
How To Get Bumper YieldCorrect Method Of IrrigationPaddy Varieties Requiring Less Irrigation
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जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के कृषि प्रभारी डॉ. लाल विजय सिंह ने बताया कि धान की सिंचाई करते वक्त किसानों को मिट्टी की नमी पर ध्यान देना चाहिए. इसके अलावा, सिंचाई का सही समय और मात्रा फसल की किस्म और मिट्टी की गुणवत्ता पर निर्भर करता है. गलत तरीके से सिंचाई करने से फसल की पैदावार में भारी कमी आ सकती है. इसलिए, चार बार से ज्यादा सिंचाई ना करें.

बलिया. धान की खेती के लिए सिंचाई का सही समय और मात्रा बेहद महत्वपूर्ण होता है. कई बार किसान धान की फसल को अधिक मात्रा में पानी देकर नुकसान पहुंचा देते हैं. कृषि एक्सपर्ट्स का कहना है कि कुछ खास किस्मों में चार बार से अधिक सिंचाई करने से फसल की पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इन किस्मों पर पड़ता है ज्यादा सिंचाई का असर बासमती चावल की किस्में विशेष रूप से संवेदनशील होती है. अधिक पानी देने पर उनकी जड़ें गलने लगती है, जिससे पौधों का विकास धीमा हो जाता है और पैदावार प्रभावित होती है.

अधिक नमी के कारण धान के पौधों पर फंगस और बैक्टीरिया का प्रकोप बढ़ जाता है, जिससे पैदावार कम हो जाती है और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं अधिक सिंचाई से मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व बहकर चले जाते हैं, जिससे फसल को आवश्यक पोषण नहीं मिल पाता. इससे धान की गुणवत्ता पर भी बुरा असर पड़ता है. क्या है सिंचाई का सही समय धान की शुरुआती अवस्था के पहले 20-30 दिनों तक धान के पौधों को उचित मात्रा में पानी देना जरूरी होता है ताकि जड़ें मजबूत हो सकें.

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How To Get Bumper Yield Correct Method Of Irrigation Paddy Varieties Requiring Less Irrigation What Is The Harm Due To Excessive Irrigation Keep These Things In Mind While Irrigating धान की खेती बंपर पैदावार कैसे करें हासिल सिंचाई का सही तरीका कम सिंचाई वाली धान की किस्में अधिक पटवन से क्या होता है नुकसान सिंचाई के वक्त इन बातों का रखें ख्याल

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