रायबरेली: मानसून की बारिश शुरू होने के साथ ही किसानों ने धान की रोपाई शुरू कर दी है.क्योंकि खरीफ के सीजन में होने वाली यह फसल किसानों के लिए मुनाफे की खेती होती है. परंतु धान की फसल में रोग एवं कीट लगने का खतरा ज्यादा बना रहता है. लेकिन अब किसानों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है.
कृषि के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के सहायक विकास अधिकारी कृषि दिलीप कुमार सोनी बताते हैं कि धान की फसल खरीफ के सीजन की मुख्य फसल होती है. लेकिन इसमें प्रमुख रूप से 6 प्रकार के कीट एवं 6 प्रकार के रोग लगते हैं. पत्ती लपेटक : यह कीट की झिल्ली हरे रंग की होती है, जो अपने थूक से पट्टी के किनारों को आपस में जोड़ देता है. जिससे पत्तियां सूख जाती हैं. तना छेदक : यह कीट पौधों पर अपना प्रभाव जमाता है.
अनावश्यक नाइट्रोजन के प्रयोग से बचना चाहिए. पत्ती लपेटा कीट के नियंत्रण के लिए ट्राइजोफास 40 ई सी 1 ली.प्रति हेक्टेयर की दर से या फिर लुबेंडीयामाइड 20 प्रतिशत डब्ल्यूजी 125-250 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए. तना छेदक कीट नियंत्रण के लिए कॉर्बोयूरान 3जी या कार टॉप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर कि दर से छिड़काव करना चाहिए.
धान की रोपाई कीटो का बढ़ जाता है खतरा जानें कैसे करें फसल का बचाव एक्सपर्ट से जानें बचाव के उपाय After Transplanting Paddy Take Care Of These Things Transplanting Paddy The Risk Of Pests Increases Know How To Protect The Crop Know Preventive Measures From Experts
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