सोशल मीडिया पर नरसिम्हा राव के अंतिम संस्कार को लेकर तरह-तरह के तर्क दिए जा रहे हैं। कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी ने राव के परिवार को अंतिम संस्कार दिल्ली में करने के लिए मनाया था, लेकिन परिवार ने हैदराबाद में अंतिम संस्कार करने का फैसला किया।
नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शव के अंतिम संस्कार की खबरों के बीच पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के शव के अंतिम संस्कार की चर्चा जोर पकड़ गई। सोशल मीडिया पर तरह-तरह के तर्क दिए जाने लगे। नरसिम्हा राव कांग्रेस नेता थे और 1991 से 1996 तक प्रधानमंत्री रहे थे। 23 दिसंबर, 2004 को नरसिम्हा राव का दिल्ली के एम्स में निधन हुआ था और अंतिम संस्कार हैदराबाद में हुआ था। क्या है दावा?एक्स यूजर मनीष सिंह का दावा है कि नरसिम्हा राव का शव हैदराबाद ले जाने का निर्णय उनके परिजनों का ही था,
कांग्रेस तो उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में करने के लिए अड़ी थी। दावा है कि कांग्रेस नेताओं ने राव के परिवार को मनाया, लेकिन वो नहीं माने और जल्द से जल्द शव को हैदराबाद ले जाने पर अड़ गए। फिर अचानक उन्होंने कहा कि शव को कांग्रेस मुख्यालय में कुछ देर रख जाएगा। लेकिन व्यवस्था किए जाने से पहले राव के परिजन शव लेकर कांग्रेस मुख्यालय पहुंच गए। स्वाभाविक है कि ताला खुलने में देरी हुई। इस बात से नाराज होकर वो तुरंत गाड़ी लेकर एयरपोर्ट चले गए। दावा यह भी है कि हैदराबाद में अंतिम संस्कार के समय बारिश हो गई और अधजली लाश को कुत्ते नोचते पाए गए। क्या है सच्चाई?नरसिम्हा राव की मृत्यु के बाद कांग्रेस पार्टी और खासकर सोनिया गांधी का उनके शव के साथ दुर्व्यवहार की बातें मीडिया में ही नहीं, किताबों में भी आ चुकी हैं। कई लेख लिखे गए और कुछ किताबों में भी इसका जिक्र आया। राव के परिजनों के बयान भी रिकॉर्ड पर हैं। विनय सीतापति की प्रसिद्ध पुस्तक 'हाफ लॉयन' में नरिसम्हा राव के अंतिम संस्कार को लेकर पूरा वाकया विस्तार से बताया गया है। फर्स्टपोस्ट ने इस पुस्तक का वो अंश प्रकाशित किया है। ध्यान रहे कि विनय सीतापति प्रिंसटन के विद्वान हैं जिनके पास राव के व्यक्तिगत दस्तावेजों और कागजात तक विशेष पहुंच थी।कांग्रेसियों ने राव के परिजनों से कहा- दिल्ली में नहीं करें अंतिम संस्कारइसमें लिखा है, 'गृह मंत्री, शिवराज पाटिल ने राव के सबसे छोटे बेटे प्रभाकर को सुझाव दिया कि शव का अंतिम संस्कार हैदराबाद में किया जाना चाहिए। लेकिन परिवार ने दिल्ली को प्राथमिकता दी। आखिरकार, राव आखिरी बार तीस साल से भी पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, और तब से उन्होंने कांग्रेस महासचिव, केंद्रीय मंत्री और अंत में प्रधानमंत्री के रूप मे
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