104 भारतीयों को अमेरिका से निर्वासित किया गया है और अब वे अपने घर लौट आए हैं। इन भारतीयों ने डंकी रूट का इस्तेमाल कर अमेरिका में घुसने की कोशिश की थी, जिसके कारण उन्हें अमेरिका द्वारा निर्वासित कर दिया गया। प्रत्येक भारतीय की अलग-अलग कहानी है जो अमेरिका जाने के सपने, परिवार के बलिदान और अप्रत्याशित परिणामों को दर्शाती है।
हाल ही में अमेरिका से निर्वासित हुए 104 भारत ीय अब अपने घर लौट आए हैं। जानकारी के अनुसार, ये भारत ीय अमेरिका -मेक्सिको सीमा पर पकड़े गए थे। बताया जा रहा है कि ये लोग भारत से वैध तरीके से रवाना हुए थे, लेकिन अमेरिका में घुसने के लिए डंकी रूट का इस्तेमाल किया था। अमेरिका ने जिन अवैध प्रवास ियों को भारत भेजा है, उनमें पंजाब से 31, हरियाणा से 30, गुजरात से 27, उत्तर प्रदेश से 3, महाराष्ट्र से 4 और चंडीगढ़ से दो भारत ीय हैं।इस त्रासदी के पीछे प्रत्येक भारत ीय की अलग-अलग कहानी है। हरियाणा के झज्जर जिले के
22 साल के युवक प्रदीप जैसे कई लोगों ने अमेरिका जाने के सपने देखे। प्रदीप के परिवार ने अमेरिका ले जाने के लिए कुल 41 लाख रुपये खर्च किए थे। डिपोर्ट किए जाने पर परिवार सदमे में है। प्रदीप के पिता डिप्रेशन में हैं और उनकी हालत खराब है। उन्होंने बातचीत से इंकार कर दिया है। परिवार ने अपनी जमीन बेचकर बेटे को विदेश भेजा था। हमारे गांव के 25 लड़के देश के बाहर हैं।प्रदीप की तरह ही करनाल के घरौंडा के कालरों गांव के 20 साल के युवक आकाश का परिवार भी जमीन बेचकर उसे विदेश भेजने का फैसला किया था। आकाश को विदेश भेजने के लिए परिवार की जमीन का ढाई एकड़ हिस्सा बेच दिया। आकाश अमेरिका भेजने के लिए एजेंट से 65 लाख के खर्च पर बात हुई थी और 6 से 7 लाख का खर्च अलग से आया। आकाश करीब 10 महीने पहले अमेरिका गया था और 26 जनवरी को मैक्सिको की दीवार कूदकर अमेरिका पहुंच गया था लेकिन वहीं उसे पकड़ लिया गया। इसके कुछ समय बाद उसे रिमांड का डर दिखाकर डिपोर्ट वाले कागजात पर साइन करवा लिए गए। अमेरिका जाने के लिए आकाश का कुल 72 लाख रुपए का खर्चा आया है। डिपोर्ट होने के बाद आकाश सुबह अपने घर पहुंचा और अपने मामा के साथ उनके घर चला गया। परिवार की हालत बुरी हो गई है। परिवार चाहता है कि एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई हो
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