रीवा के निवासी शंकर बंसल ने नौकरी छूटने के बाद बांस की झाड़ू बनाने का काम शुरू किया और आज खुद को खड़ा कर लिया है.
रीवा शहर के गुढ़ चौराहे में स्थित बंसल बस्ती के निवासी शंकर बंसल के परिवार में माता-पिता, पत्नी बच्चे मिलाकर 7 सदस्य हैं. नौकरी छूटने के बाद भी शंकर बंसल ने हार नहीं मानी और विरासत में मिले पुस्तैनी काम की शुरुआत की. पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे कार्य को आगे बढ़ाते हुए अब वह अपने पैरों पर खड़े हैं. शंकर बंसल ने Local18 को बताया कि नौकरी छूट जाने का मलाल तो है मगर वह लाचार नहीं हैं. पुस्तैनी काम से अपना रोजगार स्थापित कर लिया है. वह एक माह में बांस से 15 से 20 हजार तक की कमाई कर लेते हैं.
शंकर ने बताया उनके द्वारा हाथों से निर्मित की गई झाड़ूओं की बड़ी डिमांड है. सड़कों की सफाई के अलावा उनकी बनाई झाड़ू की डिमांड सरकारी दफ्तरों में है. हर जगह उनकी बनाई हुई बांस की झाड़ुओं का इस्तेमाल होता है. शंकर बंसल का कहना है “एक बांस से 5 छोटी झाड़ू और 3 बड़ी झाड़ू तैयार होती हैं. एक बांस की खरीदी में उन्हे 200 से 300 रुपए व्यय करने पड़ते हैं. इसके बाद बड़ी जटिलता के साथ बांस से निर्मित झाड़ू बनकर तैयार होती है. कई बार बांस के लकड़ियों की फांस उनके हाथ के गदेलियों में चुभती है, मगर इसके बावजूद वह इस जटिल कार्य को बखूबी करते हैं. शंकर का कहना है बहुत से लोग उनकी बनाई झाड़ू की बड़ी तारीफ करते हैं. मगर आज के परिवेश में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो छुआछूत के चलते उनकी झाड़ू को खरीदना पसंद नही करते.अगर सरकार से उन्हें कोई आर्थिक मदद मिल जाए तो वह उससे अपने रोजगार का विस्तार करके अपनी इनकम को बढ़ाने के साथ ही अन्य लोगों को रोजगार दे सकते हैं
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रीवा के शंकर बंसल ने नौकरी छूटने के बाद बांस की झाड़ू से बनाया अपना रोजगाररीवा में पुरातत्व विभाग में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी से निकाले गए शंकर बंसल ने अपनी राह मेहनत से खुद बना ली. उन्होंने पुस्तैनी काम बांस की झाड़ू बनाने को अपना कर खुद का रोजगार स्थापित किया. उनकी बनाई हुई झाडू की भी बहुत डिमांड है.
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