मुझे नोबेल शांति पुरस्कार मिले 10 साल हो गए. पीछे मुड़कर देखता हूं तो इन वर्षों में बहुत कुछ हासिल हुआ, कई मोर्चे पर बदलाव हुए लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है. | - News in Hindi - हिंदी न्यूज़, समाचार, लेटेस्ट-ब्रेकिंग न्यूज़ इन हिंदी
नोबेल शांति पुरस्कार के 10 साल पूरे हो गए हैं. एक प्रश्न जो मुझसे बार-बार पूछा जाता रहा है, और कई बार तो एक ही दिन में तीन से चार बार भी- “कैलाश जी, नोबेल के बाद आपके जीवन में क्या बदलाव आया है?” अक्सर, मैं इस प्रश्न का जवाब हल्के-फुल्के अंदाज में देता हूं, “पहले मैं इकॉनमी क्लास में यात्रा करता था, अब मेजबान बिजनेस क्लास के टिकट भेजते हैं, जिससे यात्रा थोड़ी आरामदायक हो गई है..” इस जवाब में मजाक की झलक है, लेकिन इसमें सच्चाई भी है.
युवा छात्र और समाजसेवी, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नीतिगत बदलावों की माँग कर रहे हैं। इसके साथ ही, बाल मजदूरी के खिलाफ कंपनियों पर भी दबाव बढ़ाया जा रहा है. यह आंदोलन बाल अधिकारों के लिए युवाओं की शक्ति का प्रतीक है. 2018 में, स्वीडन ने अपने वैश्विक शिक्षा फंड में कटौती करने की घोषणा की थी, जिससे कई विकासशील देशों में बच्चों को शिक्षित करने के प्रयासों को धक्का लगना निश्चित था। ‘100 मिलियन यूथ कैंपेन’ से जुड़े स्वीडिश युवाओं के नेतृत्व में इसका विरोध शुरू हुआ.
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