न बिजली, न डीजल, न थ्रेसर...पैर से चलने वाली इस मशीन से 1 घंटे में निकालें 50 किलो धान, समय-मेहनत दोनों की ...

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न बिजली, न डीजल, न थ्रेसर...पैर से चलने वाली इस मशीन से 1 घंटे में निकालें 50 किलो धान, समय-मेहनत दोनों की ...
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धान की कटाई शुरू हो गई है. ऐसे में किसान परंपरागत तरीके से धान निकालने का काम कर रहे हैं. हालांकि, धान निकालने के पुराने तरीके में समय के साथ मेहनत भी ज्यादा लगती है. अगर, किसान मशीन लगाएं तो डीजल या बिजली के खर्च के साथ किराया भी देना पड़ता है.

सोना लाल ने Local18 टीम को बताया कि मेरे दादा मेरे पिताजी भी सब्जी की ही खेती किया करते थे. मैं भी पिछले 40 वर्षों से सब्जी की खेती कर रहा हूं. बताया कि इस समय गर्म सब्जी का बीज लगाने पर सबसे पहले फलना शुरू होता है. इसके वजह से यह बाजार में अधिक दाम पर बिकता है. उन्होंने बताया कि मैं रेत पर ही सब्जी की खेती करता हूं जिसमें लौकी, घेरा, करेला, धनिया, मूली, तरबूज, खरबूज, खीरा, ककड़ी प्रत्येक वर्ष उपजाता हूं. उन्होंने बताया कि मिट्टी पर गंगा का पानी चढ़ने से काफी ज्यादा पैदावार होती है.

कम से कम 1 फीट गहरा करने के बाद उसके अंदर सूखी मिट्टी डालकर 1 से 2 इंच फिर से मिट्टी हटाकर वहां पर बीज डाला जाता है. इससे जमीन से काफी हरा-भरा पौधा निकलता है और उसमें फलन भी खूब जबरदस्त होत है. बताया कि 1 फीट गहरा मिट्टी खुदाई करने से अंदर जड़ चल जाता है. इसके वजह से अधिक गर्मी पड़ने पर भी पौधा सूखता नहीं है. रेत पर खेती करने से पटवन की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है बशर्ते बीज लगाते वक्त इसकी जानकारी होनी चाहिए. कुछ ऐसे भी किसान है जिनको बीज डालने की भी जानकारी नहीं रहती है.

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