पाकिस्तान का बजट एक ऐसे समय में पेश किया जा रहा है कि जब देश आईएमएफ़ से एक बड़े क़र्ज़ प्रोग्राम के लिए वार्ता कर रहा है.
पाकिस्तान में इन दिनों बजट की तैयारी जारी है और सूचना के अनुसार 12 जून को पाकिस्तान की संसद में अगले वित्तीय वर्ष का बजट पेश किया जाएगा.
आज पाकिस्तान को कम आर्थिक विकास, बढ़ते हुए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क़र्ज़, ग़रीबी और महंगाई के साथ विदेशी पूंजी निवेश की कमी और निर्यात में गिरावट का सामना है.यहाँ क्लिक करें आईएमएफ़ ने पिछले महीने पाकिस्तान से संबंधित जो रिपोर्ट जारी की उसमें पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में बेहतरी के लिए प्रस्ताव थे और इसके साथ वित्तीय घाटे को कम करने के लिए लक्ष्य तय किए गए थे.
वरिष्ठ पत्रकार ज़हीर अब्बास ने इस बारे में कहा कि यह बजट आईएमएफ़ की शर्तों पर नहीं, बल्कि यह आईएमएफ़ की ओर से बना कर दिया जाने वाला बजट है जिसे अब सरकार पेश करेगी. दूसरी और केंद्र सरकार की प्लान कोऑर्डिनेशन कमेटी की ओर से भी पिछले दिनों अगले वित्तीय वर्ष के लिए उन्हीं लक्ष्यों को मंज़ूर किया गया.पाकिस्तान: जब सरकारी वकील ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट से कहा- 'कश्मीर विदेशी ज़मीन है'पाकिस्तान का बजट आईएमएफ़ की शर्तों के तहत बनने पर आर्थिक विशेषज्ञों ने कहा कि यह आईएमएफ की ‘डिक्टेशन’ के तहत बनने वाला बजट है.
आईएमएफ़ यह मांगें क्यों कर रहा है? इसके बारे में आर्थिक विशेषज्ञ यूसुफ़ नज़र ने बताया कि जब कोई क़र्ज़ लेता है तो उसके साथ शर्तें भी ज़रूर होती हैं. देश का निर्यात और विदेशी पूंजी निवेश ठहराव का शिकार है तो दूसरी ओर सरकार को घरेलू और विदेशी क़र्ज़ों की ऑफ़र के लिए अधिक आमदनी चाहिए.
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