सबका आखिरी प्रदोष व्रत आज, 28 दिसंबर को है। इस दिन भगवान शिव की पूजा और शिव चालीसा का पाठ करने से सुख-समृद्धि और जीवन में खुशहाली प्राप्त होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वर्ष 2024 का आखिरी प्रदोष व्रत आज यानी 28 दिसंबर को किया जा रहा है। यह पर्व भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी तरह सुखों की प्राप्ति होती है और जीवन खुशहाल होता है। ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान शिव चालीसा का पाठ करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और सभी मुरादें पूरी होती हैं। प्रदोष व्रत 2024 शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2024 Shubh Muhurat) पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी
तिथि की शुरुआत 28 दिसंबर को देर रात 02 बजकर 26 मिनट पर हो गई है। वहीं, इस तिथि का समापन 29 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 32 मिनट पर होगा। ऐसे में आज यानी 28 दिसंबर को प्रदोष व्रत किया जा रहा है। ।।शिव चालीसा।। ॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान । कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥ ॥ चौपाई ॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥ देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥ तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा । सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला । जरत सुरासुर भए विहाला ॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥ यह भी पढ़ें: Paush Pradosh Vrat 2024: इन चीजों से करें भगवान शिव का अभिषेक, मिलेगा पुण्य फल पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥ सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
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