प्रयागराज में 144 साल बाद पूर्ण महाकुंभ का आयोजन होगा. इस महाकुंभ के महत्व और आयोजन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां.
प्रयागराज में 144 साल बाद पूर्ण महाकुंभ क्यों? कुंभ मेला के इन 10 सवालों का क्या आप जानते हैं? जवाब कुंभ मेला का आयोजन सबसे पहले प्राचीन काल में हुआ था, जब ऋषि और मुनि गंगा नदी के किनारे एकत्र होते थे और धार्मिक अनुष्ठान करते थे. इसके पीछे बहुत से कारण थे. आज आपके महाकुंभ की जनरल नॉलेज के बारे में जानते हैं.
मथुरा-वृंदावन से मैनपुरी तक 11 शहरों में बिछेगा बाईपास का जाल, सिद्धार्थनगर में भी फर्राटेदार रोड गंगा के किनारे-किनारे गुजरेगा एक और एक्सप्रेसवे, 11 साल बाद शुरू होगा 8 लेन एक्सप्रेसवे हाथों में त्रिशूल-भाले, शरीर पर भस्म लपेटे... महाकुंभ में निकला नागा साधुओं और महामंडलेश्वरों का काफिला पीएम मोदी करेंगे नमो भारत ट्रेन की सवारी! साहिबाबाद से न्यू अशोक नगर तक इस दिन से सुपरफास्ट सफर कुंभ मेले का आयोजन लगभग 2000 वर्षों से हो रहा है. इसका उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है कुंभ मेला हिंदू धर्म का महापर्व है, जिससे करोड़ों लोगों की आस्थाएं जुड़ी होती हैं. महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल के अंतराल पर प्रयागराज में होता है और इस बार महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से आयोजित होने वाला है. इस मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं, महाकुंभ पर आधारित ये खास क्विज. देखते हैं कि आप कुंभ को कितना जानते हैं. हजारों साल पुराना दिगंबर अनि अखाड़ा, ब्रह्मचर्य-संन्यास जैसी अग्निपरीक्षा, टहलू और मुरेटिया के बाद बनते हैं नागा साधु 2. सवाल: महाकुंभ मेले का आयोजन कितने वर्ष के अंतराल पर होता है? जवाब: यह मेला चार अलग-अलग स्थानों पर लगता है जो हर 3 सालों के अंतराल पर बदलते रहते हैं. 2. इलाहाबाद (त्रिवेणी संगम, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियां मिलती हैं) 8. सवाल: कुंभ मेले का आयोजन किस काल से हो रहा है? जवाब: अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं. क्यों होता है प्रयागराज में महाकुंभ महाकुंभ प्रयागराज की धरती पर होने का क्या महत्व है? इस पर बात करते हुए मंहत दुर्गा दास ने कहा,'इसका बहुत महत्व है क्योंकि ब्रह्माजी ने यहां पर यज्ञ किया था. यह दशाश्वमेध यज्ञ त्रिवेणी की पुण्य स्थली पर किया गया था. इसके अलावा यहां मां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है. इसलिए यहां स्नान का महत्व है. इसके अलावा ज्ञान के रूप में अमृतज्ञान भी यहां निरंतर प्रवाहित रहता है. इस जगह पर अमृत की कुछ बूंदे गिरी थी, जिसका लाभ यहां प्राप्त होता है.
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