यह लेख बाबा लक्खी शाह बंजारा के जीवन पर प्रकाश डालता है जो व्यापारी, सिविल कॉन्ट्रैक्टर, ट्रांसपोर्टर और समाजसेवक थे। लेख उनके व्यापारिक साम्राज्य, टांडा और उनके द्वारा बनवाई गई कई इमारतों और बुनियादी ढांचे के बारे में बताता है।
नई दिल्ली: बंजारा शब्द सुनते ही स्वच्छंदता और आजादी का अनुभव होता है। मन में एक छवि भी खिंच जाती है। निश्चित पारंपरिक परिधान, खड़ी और रौबदार बोली, टेंट या अस्थायी झोपड़ियों की बस्ती। लेकिन, बंजारा शब्द किसी बेफिक्री को ध्यान में रखते हुए नहीं बना। यह बना है वणजारा शब्द से। वणजारा यानी व्यापारी । बाबा लक्खी शाह बंजारा भी एक व्यापारी ही थे। बहुत लोग उन्हें लाखा बंजारा कहते हैं। व्यापारी होने के अलावा भी वह बहुत कुछ थे- सिविल कॉन्ट्रैक्टर, ट्रांसपोर्टर और समाजसेवक। लाखों लोगों को अकेले चलाने वाले।...
हैं। 1639 में जब दिल्ली में लाल किले का निर्माण हो रहा था, तब उसमें शामिल ठेकेदारों में लक्खी शाह मुख्य थे। हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती बिलासपुर जिले में स्थित खालसा राजधानी लौहगढ़ का किला और 55 कुएं उन्हीं की देखरेख में बने। हरियाणा के बालसोला में नालागढ़ रोड पर पांच एकड़ का तालाब और नाहन की गढ़ी भी लक्खी बंजारा की देन है। यही नहीं, दिल्ली, लखनऊ, सहारनपुर, देहरादून और दरभंगा में आलीशान बगीचे, बिहार में लक्खी सराय- ये सब उनके ही बनवाए हुए हैं।हैरतअंगेज कारनामेलक्खी शाह द्वारा सागर का...
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