बकरे पर दूल्हा निकाला, 400 साल पुरानी परंपरा का पालन

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बकरे पर दूल्हा निकाला, 400 साल पुरानी परंपरा का पालन
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मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में लोहिया समाज में बकरे पर दूल्हे की बारात निकालने की एक 400 साल पुरानी परंपरा चली आ रही है।

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में लोहिया समाज में एक 400 साल पुरानी परंपरा के अनुसार, 18 साल से कम उम्र में कर्ण छेदन संस्कार वाले बच्चों की बकरे पर बारात निकाली जाती है। शुक्रवार को एक प्रसिद्ध बारात इस परंपरा का पालन करते हुए निकाली गई। शहर के लोहिया समाज में यह परंपरा करीब 400 सालों से चली आ रही है। परिवार के बड़े बेटे के कर्ण छेदन का संस्कार शादी समारोह की तरह धूमधाम से मनाया जाता है। यह परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है। कर्ण छेदन की सामाजिक परंपरा को शादी समारोह की तरह बड़े ही धूमधाम के साथ

मनाया जाता है। बच्चों का कर्ण छेदन 18 साल से कम उम्र में करने की परंपरा है। यह हमारे समाज में 16 संस्कारों में से एक है। बकरे पर दूल्हे को बैठाकर 7 स्थानों से होकर बारात निकाली जाती है। जिसमें स्वयं का घर, मंदिर का दरवाजा, कुल देवता का दरवाजा और मोहल्ले के घरों को शामिल किया जाता है। बारात में घर परिवार के अलावा रिश्तेदार और मोहल्ले के लोग शामिल होते हैं। इसके बाद विधि विधान से शादी की रस्में पूरी की जाती हैं

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