माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ाई में अव्वल बनाने के लिए तरह-तरह के प्रयास करते हैं। लेकिन बच्चों की मेमोरी बूस्ट करने के लिए खानपान का विशेष ध्यान रखना ज़रूरी है।
माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ाई में अव्वल रहे। इसके लिए वे हर संभव प्रयास करते हैं, जैसेकि अच्छे स्कूल में दाखिला करवाना, ट्यूशन लगवाना या घर में पढ़ाई के लिए अनुकूल माहौल बनाना वगैरह। लेकिन पढ़ाई में अव्वल आने के लिए महज अच्छे संसाधन उपलब्ध कराना ही काफी नहीं है, बल्कि बच्चे का खानपान भी उसकी पढ़ाई को प्रभावित कर सकता है। दरअसल हम जो कुछ भी खाते हैं, वह हमारे शरीर के साथ-साथ ब्रेन को भी प्रभावित करता है। पौष्टिक भोजन से दिमाग तेज, फोकस्ड और एक्टिव रहता है, जबकि अनहेल्दी डाइट से लो
एनर्जी और याददाश्त कम होने लगती है। इसलिए बच्चों की मेमोरी बूस्ट करने के लिए उनकी डाइट का खास ख्याल रखना चाहिए।में बात करेंगे कि बच्चों की मेमोरी बूस्ट करने के लिए डाइट में कौन से सुपरफूड शामिल करने चाहिए। साथ ही जानेंगे कि-एक्सपर्ट: शुचिता शर्मा, डाइटीशियन, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, इंदौरदिमाग को सही तरीके से काम करने के लिए पर्याप्त न्यूट्रिएंट्स की जरूरत होती है। दरअसल हमारा ब्रेन शरीर की कुल एनर्जी का करीब 20% हिस्सा इस्तेमाल करता है। सही न्यूट्रिएंट्स से ब्रेन के न्यूरॉन्स बेहतर तरीके से कार्य करते हैं, जिससे याददाश्त और एकाग्रता बढ़ती है। वहीं गलत खानपान से मानसिक थकान, तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।दरअसल बच्चों का ब्रेन डेवलपिंग फेज में होता है। यह समय याददाश्त बनाने, भाषा सीखने और समस्याओं को हल करने की क्षमता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसलिए इस बीच उनकी डाइट का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। गलत खानपान से न सिर्फ उनके ब्रेन फंक्शन का विकास धीमा होता है, बल्कि यह उनके शारीरिक विकास में भी बाधक बन सकता है।सवाल- कौन सी चीजें खाने से बच्चों की याददाश्त कमजोर हो सकती है? जवाब- डाइट में जरूरी न्यूट्रिएंट्स की कमी ब्रेन फंक्शन को धीमा कर सकती है। खासतौर पर ओमेगा-3 फैटी एसिड, आयरन, जिंक, विटामिन B12 और D की कमी मेमोरी लॉस का कारण बन सकती है। बच्चों को शुगर, जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड और कैफीन युक्त चीजें नहीं खिलानी चाहिए। इनसे उनकी याददाश्त और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।सवाल- बच्चों की मेमोरी बढ़ाने के लिए खानपान के अलावा और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? जवाब- हेल्दी खानपान के साथ कुछ आदतें और लाइफस्टाइल में बदलाव करके भी बच्चों की याददाश्त और सीखने की क्षमता में सुधार किया जा सकता है। इसे इन पॉइंटर्स से समझिए-नींद की कमी से बच्चों की याददाश्त कमजोर होने लगती है। वह जल्दी भूलने लगते हैं। पढ़ाई में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। पर्याप्त नींद ब्रेन को रिपेयर करने का काम करती है। नींद के दौरान ब्रेन सीखी हुई चीजों को प्रोसेस करता है। इसलिए बच्चों को रोज 9 घंटे की अच्छी नींद लेनी चाहिए।दिमाग को तेज और एक्टिव रखने के लिए फिजिकल एक्टिविटी बेहद जरूरी है। जब बच्चे खेलते-कूदते या एक्सरसाइज करते हैं तो ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। दिमाग में ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ती है और न्यूरॉन्स एक्टिव होते हैं। इससे उनकी याददाश्त, ध्यान केंद्रित करने और सीखने की क्षमता बेहतर होती है।नंबर गेम्स, सुडोकू, पजल्स जैसे गेम्स दिमाग के लिए एक बेहतरीन एक्सरसाइज का काम करते हैं। जब हम ऐसे गेम्स खेलते हैं तो सोचने-समझने की क्षमता तेज होती है। इससे लॉजिकल थिंकिंग और क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स बेहतर होती हैं।सवाल- टीवी, लैपटॉप, मोबाइल आदि का स्क्रीन टाइम बच्चों के ब्रेन और मेमोरी को कैसे प्रभावित करता है?आजकल बच्चे टीवी, मोबाइल, लैपटॉप और टैबलेट जैसी डिवाइस के साथ ज्यादा समय बिता रहे हैं। इन डिजिटल डिवाइसेज का स्क्रीन टाइम उनकी ब्रेन, मेमोरी और कॉग्निटिव डेवलपमेंट पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। डाइटीशियन शुचिता शर्मा बताती हैं कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को मोबाइल, टैबलेट जैसी स्क्रीन से दूर रखना चाहिए। इससे उनका ब्रेन डेवलपमेंट धीमा हो सकता है। लगातार स्क्रीन देखने से सोचने-समझने की शक्ति कम हो सकती है। साथ ही बच्चे डिजिटल एडिक्शन का शिकार हो सकते हैं। इससे उनका मूड स्विंग बढ़ सकता है और वे चिड़चिड़े हो सकते हैं। इसलिए बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित करें और उन्हें खेलने-कूदने, क्रिएटिव एक्टिविटीज करने और परिवार और दोस्तों के साथ ज्यादा समय बिताने के लिए प्रेरित करें। यह उनकी ओवरऑल ग्रोथ के लिए बेहतर है
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