सितंबर के अंतिम सप्ताह तक धान की फसल में बाली आने लगती है. इस दौरान खेत में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए. दरअसल पानी की कमी होने पर बाली सूख जाती है. उसमें दाने नहीं बनते हैं.
रायबरेली: इस साल पूरे देश में मानसून बेहतर रहा और उत्तर प्रदेश में भी अच्छी बारिश हुई है, जिससे धान की पैदावार के लिए अनुकूल स्थिति बनी है. फिलहाल, बारिश अपने अंतिम चरण में है और यह समय धान की फसल में बाली आने का सबसे उपयुक्त होता है. ऐसे में किसानों के लिए कुछ एहतियात बरतना जरूरी है ताकि वे बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकें. रायबरेली के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक विनय कुमार वर्मा ने बताया कि बारिश के बाद धान के खेतों में घास की समस्या बढ़ गई है, जो फसल के पोषण को बाधित करती है.
सितंबर के अंत में यूरिया का छिड़काव करने से फसल को आवश्यक नाइट्रोजन मिलती है, जो बारिश के कारण कम हो जाती है. यह पौधों के विकास को बढ़ावा देता है और बाली का विकास भी बेहतर होता है. यूरिया छिड़काव के चरण बुवाई के समय कली निकलने के समय बाली निकलने के समय खेत में नमी बनाए रखना विनय कुमार वर्मा ने बताया कि सितंबर के अंत तक धान की बाली बनने लगती है, और इस समय खेत में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए. पानी की कमी से बाली सूख सकती है, जिससे दाने नहीं बनते.
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