बिहार के राजनैतिक दिग्गज सुशील मोदी को मरणोपरांत पद्म भूषण

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बिहार के राजनैतिक दिग्गज सुशील मोदी को मरणोपरांत पद्म भूषण
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बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता सुशील मोदी को मरणोपरांत पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है।

पूर्व उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता सुशील मोदी को मरणोपरांत पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इस घोषणा को केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 2025 के लिए पद्म पुरस्कारों की घोषणा करते हुए किया। सुशील मोदी बिहार की राजनीति के एक प्रमुख नाम थे जिन्होंने आरएसएस से जुड़कर संगठन के प्रति अपनी निष्ठा का प्रदर्शन किया। उन्होंने राजनीति में उभरते हुए विभिन्न संगठनों से जुड़कर छात्र राजनीति का भी अनुभव किया। जेपी आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका रही और कांग्रेस

सरकार ने उन्हें 19 महीने तक जेल में रखा। उन्होंने रेडिमेड की दुकान पर भी काम किया और पिता के साथ व्यवसाय चलाया। भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने 1990 में पटना केंद्रीय विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता और मुख्य सचेतक और नेता प्रतिपक्ष भी बने। 2000 में जब नीतीश सरकार सात दिनों तक बनी तो वह मंत्री भी बने। इसके बाद 2004 तक नेता प्रतिपक्ष के पद पर बने रहे। उन्होंने लालू परिवार के खिलाफ लगातार आवाज उठाई और आंकड़ों के माध्यम से सबूत पेश किए। 2004 के लोकसभा चुनाव में भागलपुर से सांसद बने और 2005 में संसद सदस्यता से इस्तीफा देते हुए बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री बने। उन्होंने 2005 से 2013 और 2017 से 2020 तक बिहार के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया और 11 बार बिहार का बजट पढ़ा। 2013 में जब प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को भाजपा ने आगे किया था, तब नीतीश कुमार ने भाजपा से दूरी बना ली। यह दूरी 2014 के लोकसभा के बाद 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी जारी रही। भाजपा को इस चुनाव में भारी झटका लगा और नीतीश कुमार लालू यादव के साथ वापस आ गए। लेकिन सुशील मोदी ने मिट्टी-मॉल घोटाले की फाइल ऐसी खोली कि नीतीश कुमार को अपने फैसले पर शक होने लगा। लगभग 50 दिनों तक सुशील मोदी ने ऐसा अभियान चलाया कि नीतीश कुमार का शक यकीन में बदल गया और 2015 में लिए महागठबंधन के लिए जनादेश को ठुकरा कर वह 2017 में वापस भाजपा के साथ आ गए। वर्ष 2020 में जब बिहार में फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहते थे कि सुशील मोदी ही डिप्टी सीएम बनें। लेकिन, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया। कैंसर की घोषणा करते समय तक राज्यसभा सांसद ही थे। पिछले महीने ही उनका कार्यकाल भी खत्म हुआ था। पीएम मोदी ने कहा था कि बिहार में भाजपा के उत्थान और उसकी सफलताओं के पीछे उनका (सुशील मोदी) अमूल्य योगदान रहा। आपातकाल का पुरजोर विरोध करते हुए, उन्होंने छात्र राजनीति से अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। वे बेहद मेहनती और मिलनसार विधायक के रूप में जाने जाते थे। राजनीति से जुड़े विषयों को लेकर उनकी समझ बहुत गहरी थी। उन्होंने एक प्रशासक के तौर पर भी काफी सराहनीय कार्य किए। जीएसटी पारित होने में उनकी सक्रिय भूमिका सदैव स्मरणीय रहेगी

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