गोरखपुर समेत पूर्वांचल के क्षेत्र में 'काला नमक' की खेती बड़े लेवल पर की जाती है. इन चावलों में कई खास वैरायटी होती है. किसान अक्सर अलग-अलग वैरायटी के फसल उगाते हैं, जो उनके लिए लाभदायक होता है और आमदनी भी खूब होती है.
रजत भटृ/ गोरखपुर . यूपी के गोरखपुर समेत पूर्वांचल क्षेत्र में ‘काला नमक’ चावल की खेती भरपूर मात्रा में की जाती है. यह चावल भगवान बुद्ध के प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. इसकी शुरुआत भी सिद्धार्थनगर से मानी जाती है. गोरखपुर यूनिवर्सिटी के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट की प्रोफेसर डॉक्टर शिखा बताती हैं कि काला नमक चावल की कई वैरायटी है जो हमारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है. साथ ही यह किसानों के लिए भी काफी मुनाफे का सौदा होता है.
काला नमक के 6 प्रकार किरन काला नमक - काला नमक किरन काला नमक चावल की यह एक ऐसी वैरायटी है जो, जिसमें आयरन और जिंक भरपूर मात्रा में पाई जाती है. इसमें 11% प्रोटीन है जो आम चावल से लगभग दो गुना होता है. साथ ही इसमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स है. वहीं इसका पैदावार प्रति हेक्टेयर 4.5 टन है. KN-3 - काला नमक की इस प्रजाति को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने विकसित किया है. इसमें अच्छी उपज के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है. इसकी खेती से किसानों को अत्यधिक उत्पादन व लाभ होता है.
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