भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ क्‍यों नहीं लगाने दे रहे स्‍थानीय लोग? ठेकेदारों को नहीं मिल रहे मजदूर

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भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ क्‍यों नहीं लगाने दे रहे स्‍थानीय लोग? ठेकेदारों को नहीं मिल रहे मजदूर
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Border Fencing: भारत सरकार की म्‍यांमार बॉर्डर पर फेंसिंग लगाने की योजना पूरी होने में अभी और देर लगती नजर आ रही है. स्‍थानीय निवासियों का विरोध इसमें बड़ी वजह बना रहा है.

भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ क्‍यों नहीं लगाने दे रहे स्‍थानीय लोग? ठेकेदारों को नहीं मिल रहे मजदूरभारत सरकार की म्‍यांमार बॉर्डर पर फेंसिंग लगाने की योजना पूरी होने में अभी और देर लगती नजर आ रही है. स्‍थानीय निवासियों का विरोध इसमें बड़ी वजह बना रहा है.

बिना इंजन वाली भारत की इकलौती ट्रेन, इसकी रफ्तार के सामने राजधानी-शताब्दी एक्सप्रेस भी फेल, क्या है ट्रेन 18top 10 extremely beautiful IAS and IPS of indiaदेखते ही देखते किस्मत संवार देते हैं ये 5 रत्न, धन-दौलत में होती है खूब बरकत भारत सरकार ने म्यांमार के साथ 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ लगाने की घोषणा को 10 महीने बीत गए हैं. लेकिन अभी भी इस योजना पर काम पूरा होने में वक्‍त लग सकता है. दरअसल, नई दिल्ली नशीली दवाओं और हथियारों की आमद पर अंकुश लगाना चाहती है, इसलिए वह सीमा पर फेंसिंग लगाना चाहती है. लेकिन सरकार की इस योजना को स्थानीय समुदायों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है जिनके सीमा पार जातीय संबंध हैं. इसके चलते सरकार इस मसले पर सावधानी से कदम बढ़ाते हुए काम कर रही है.

दुनिया की सबसे महंगी मुद्रा है कुवैती दीनार, यहां भारतीयों को मिलती है इतनी सैलरी; सुनकर कान से निकलेगा धुआं सीमा पार रह रहे लोगों के ये संबंध, सुरक्षा जैसी राष्‍ट्रीय प्राथमिकताओं के आड़े आ रहे हैं. जिससे सीमा पर फेंसिंग लगाने के लिए ठेकेदारों को मजदूर ही नहीं मिल रहे हैं. मजदूरों का ना मिलने के पीछे स्‍थानीय विरोध ही है.यही वजह है कि भारत म्‍यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का काम बहुत धीमी गति से चल रह है. ताजा जानकारी के अनुसार, मणिपुर के मोरेह के पास 10 किमी में फेंसिंग लगाने का काम पूरा हो चुका है और 21 किमी का काम पूरा होने वाला है.

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

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