भारत ने अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का परीक्षण करने के लिए दो छोटे अंतरिक्ष यान लॉन्च किए. यह मिशन भारत के भविष्य के अंतरिक्ष लक्ष्यों, जैसे चंद्रमा पर मानव मिशन और उपग्रह सर्विसिंग, के लिए महत्वपूर्ण है.
भारत ने सोमवार को एक रॉकेट लॉन्च किया, जिसमें दो छोटे अंतरिक्ष यान शामिल थे. इनका उपयोग अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का परीक्षण करने के लिए किया जाएगा. यहलॉन्च से पहले विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसे' भारत के भविष्य के अंतरिक्ष लक्ष्यों के लिए अहम' बताया. यह लॉन्च श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया और भारत ीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( इसरो ) ने इसे लाइव प्रसारित किया.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल घोषणा की थी कि भारत 2040 तक चंद्रमा पर इंसान भेजने का लक्ष्य रखता है. सोमवार शाम को पीएसएलवी-सी60 रॉकेट ने श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी. यह रॉकेट आग की लपटों के साथ रात के आसमान में तेजी से बढ़ता गया. इसमें दो छोटे उपग्रह थे, जिनका वजन 220 किलोग्राम था. इस मिशन का नाम'स्पेडेक्स' यानी'स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट' रखा गया है. यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक अहम कदम है. इसरो ने कहा,'पीएसएलवी-सी60 ने स्पेडेक्स और 24 अन्य पेलोड्स को सफलतापूर्वक लॉन्च किया.' इस मिशन का उद्देश्य यह साबित करना है कि भारत अंतरिक्ष में यानों को एक-दूसरे के करीब लाकर, जोड़कर और अलग करने की तकनीक विकसित कर सकता है. इसरो के मुताबिक, यह तकनीक भारत के चंद्रमा मिशन और मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए जरूरी है. साथ ही, यह उपग्रहों की मरम्मत और सर्विसिंग जैसे कामों के लिए भी उपयोगी होगी. मिशन में उपग्रहों को पहले पृथ्वी की कक्षा में 28,800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जाएगा. इसके बाद, उनकी सापेक्ष गति को 0.036 किलोमीटर प्रति घंटे तक घटाया जाएगा. इसके जरिए दोनों उपग्रहों को जोड़कर एक इकाई के रूप में काम करने लायक बनाया जाएगा. इसरो ने बताया कि इस तकनीक को हासिल करने के बाद भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद चौथा ऐसा देश बन जाएगा, जिसके पास स्पेस डॉकिंग तकनीक होगी. भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम पिछले दशकों में तेजी से विकसित हुआ है. इसे सीमित बजट के बावजूद कई बड़ी सफलताएं मिली हैं. अगस्त 2023 में भारत ने चंद्रमा पर एक मानवरहित यान उतारा था. ऐसा करने वाला भारत चौथा देश बना. इससे पहले केवल रूस, अमेरिका और चीन ने ही यह उपलब्धि हासिल की थ
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