भारत की सामूहिक भावना का वर्णन करती है संविधान की प्रस्तावना : जेजीयू में संविधान दिवस व्याख्यान में गोपालकृष्ण गांधी
सोनीपत, 30 नवंबर । “भारतीय संविधान की प्रस्तावना दार्शनिक और राजनीतिक रूप से आशावादी और अद्वितीय है। यह हमें पुस्तकों की इस पुस्तक का लेखक, मालिक और प्राप्तकर्ता बनाता है। हम, भारत के लोग...
उन्होंने कहा, भारत का संविधान एक महान खजाना है, जिसने हम भारतीयों को समृद्ध किया है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि संविधान ने भविष्य में दूर की चीजों की कल्पना की है।” प्रोफेसर गांधी ने हमारे प्राकृतिक संसाधनों - ग्लेशियरों, नदियों और जंगलों के विनाश की ओर इशारा किया और कहा कि संविधान के नीति निर्देशक सिद्धांतों में यह उल्लेख है कि राज्य अपने जंगलों की रक्षा करेगा। उन्होंने कहा, संविधान को हमारे प्राकृतिक संसाधनों के नाटकीय पतन पर एक रुख अपनाना...
संविधान दिवस व्याख्यान के लिए प्रोफेसर गोपालकृष्ण गांधी का स्वागत करते हुए, ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रो. सी.
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा संविधान दिवस पर संयुक्त सत्र संबोधनराष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस के अवसर पर संसद के संयुक्त सत्र में संबोधन किया। उन्होंने विशेष स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किए और संविधान की प्रति का विमोचन किया।
और पढो »
'भारत का संविधान सत्य और अहिंसा की किताब', संविधान दिवस पर बोले राहुल गांधीRahul Gandhi Speech on Constitution Day: आज देश संविधान के अपनाने की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है. इस मौके पर केंद्र सरकार ने हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान अभियान की शुरुआत की तो वहीं कांग्रेस ने संविधान रक्षक दिवस शुरू किया.
और पढो »
संविधान दिवस पर शंभवी चौधरी ने दिया बयानसंविधान दिवस पर लोक जनशक्ति पार्टी की सांसद शंभवी चौधरी ने बहुमूद्रित भारतीय संविधान के बारे में बयान दिया, जो बिहार राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.
और पढो »
संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष-समाजवादी शब्द हटाने की मांग खारिज: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ये संविधान क...Constitution Preamble Socialist Secular Case Supreme Court Hearing Update - सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को हटाने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
और पढो »
संविधान की प्रस्तावना में भी संशोधन कर सकती है देश की संसदः सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंथनिरपेक्षता की धारणा समानता को प्रदर्शित करती है जो संविधान का मूल स्वरूप है। इसी तरह समाजवाद शब्द को सिर्फ आर्थिक नीतियों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। समाजवाद कल्याणकारी राज्य की प्रतिबद्धता का द्योतक है जो राज्य द्वारा अवसर की समानता सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित करता है। कोर्ट ने कहा कि संसद संविधान की...
और पढो »
हीलियम गैस के चैंबर में क्यों रखी गई है संविधान की मूल कॉपी, जानेंहीलियम गैस के चैंबर में क्यों रखी गई है संविधान की मूल कॉपी, जानें
और पढो »