यह लेख मकर संक्रांति के महत्व, पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान और सूर्य देव की पूजा के बारे में बताता है। साथ ही यह मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व भी बताता है, जिसमें सूर्य देव और शनिदेव के मिलन की कथा को शामिल किया गया है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। यह पर्व हर साल सूर्य देव के मकर राशि में गोचर करने की तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करते हैं। साथ ही सूर्य देव की पूजा-उपासना करते हैं। इसके बाद दान-पुण्य करते हैं। सनातन शास्त्रों में निहित है कि मकर संक्रांति तिथि पर गंगा स्नान करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि मकर संक्रांति सूर्य गोचर के अलावा क्यों मनाई...
ने सूर्य देव के क्रोध को शांत किया। साथ ही सूर्य देव को माता छाया के लिए अपने क्रोध को स्नेह में बदलने का अनुरोध किया। तब सूर्य देव ने माता छाया को क्षमा प्रदान की। इसके बाद सूर्य देव अपने पुत्र शनिदेव से मिलने पहुंचे। कहते हैं कि सूर्य देव के मकर राशि में गोचर करने की तिथि पर ही दोनों की भेंट हुई थी। आसान शब्दों में कहें तो मकर संक्रांति तिथि पर सूर्य देव अपने पुत्र शनिदेव से मिलने पहुंचे थे। उस समय घर पर कुछ न होने पर शनिदेव ने अपने पिता सूर्य देव को तिल अर्पित किया था। अत: मकर संक्रांति तिथि...
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