सीरिया में बशर अल असद के पतन के बाद मध्य-पूर्व में ईरान की महत्वाकांक्षाओं को चोट पहुँची है.
दमिश्क में ईरानी दूतावास के फर्श पर टूटे शीशे और पैरों तले रौंदे हुए झंडों के बीच ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई के पोस्टर लगे हुए हैं. इनमें लेबनान के हिज़्बुल्लाह आंदोलन के पूर्व नेता हसन नसरल्लाह की फटी हुई तस्वीरें भी हैं.दूतावास के बाहर लगी फ़िरोज़ी रंग की टाइलें अब भी चमक रही हैं लेकिन ईरान के बेहद प्रभावशाली पूर्व सैन्य रिवोल्यूशनरी गार्ड कमांडर कासिम सोलेमानी के एक बड़े-से बैनर को भी नष्ट किया गया है.
उन्होंने कहा, "आप जितना अधिक दबाव डालेंगे, प्रतिरोध उतना ही ज़ोरदार होगा. आप जितना ज़ुल्म करेंगे, ये उतना ही अधिक मज़बूत होता जाएगा." उनका कहता है, "सभी मोहरे एक के बाद एक गिर रहे हैं. ईरानी प्रतिरोध की धुरी को इसराइल ने तोड़ दिया है. सीरिया की घटनाओं ने तो इसे नष्ट ही कर दिया है. ईरान के पास यमन में हूथी विद्रोहियों के अलावा इस क्षेत्र में कोई वास्तविक प्रतिनिधि नहीं बचा है."
ईरान पहले भी असद की मदद के लिए आया था. 2011 में अरब स्प्रिंग के दौरान हुए विद्रोह के गृह युद्ध में तब्दील हो जाने के बाद जब असद असुरक्षित दिखे, तो उन्हें तेहरान ने अपने लड़ाके, ईंधन और हथियार मुहैया कराए. डॉ. वकील का तर्क है, "प्रतिरोध की धुरी एक अवसरवादी नेटवर्क था जो ईरान को एक रणनीतिक बढ़त देता था. ईरान से इसे सीधे हमले से बचने के लिए डिज़ाइन किया था. साफ़ है कि ये एक रणनीति विफल रही है."ईरानी छात्र एक प्रदर्शन में परमाणु रिसर्च प्रोग्राम को सीमित करने के पश्चिमी के प्रयासों का विरोध करते हुए.डॉ. वकील कहते हैं, "वह खुद को फिर से स्थापित करने, प्रतिरोध की धुरी में जो कुछ बचा है उसे मजबूत करने की कोशिश करेगा.
"ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम पर भी दोबारा सोच सकता है. वो ये तय कर सकता है कि अपनी सुरक्षा के लिए उसे इस कार्यक्रम में और अधिक निवेश करना है."फ़ारस की खाड़ी पर स्थित बुशहर में ईरान का न्यूक्लियर पॉवर प्लांट. ईरान ने कहा है कि वह ऐसा उन प्रतिबंधों के जवाब में कर रहा है जिन्हें ट्रम्प ने लगाया था. यूरेनियम से परमाणु हथियार तभी बन सकते हैं जब वो 90% या उससे अधिक संवर्धित हो.रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट थिंक टैंक में परमाणु प्रसार की विशेषज्ञ डारिया डोल्ज़िकोवा कहती हैं, "यह वाकई चिंताजनक तस्वीर है. परमाणु कार्यक्रम 2015 में जहां था, उससे बिल्कुल अलग जगह पर पहुंच गया है."
इसराइली इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज़ और तेल अवीव विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ. रज़ ज़िम्म्ट कहते हैं, "ये स्पष्ट है कि ट्रंप ईरान पर अपनी दबाव डालने वाली रणनीति को फिर से लागू करने की कोशिश करेंगे." डॉ. वकील के अनुसार, "ख़ामेनेई सोते वक्त अपनी विरासत के बारे में चिंता करते हैं. ख़ामेनेई चाहेंगे कि वो ईरान को एक मज़बूत स्थिति में छोड़कर जाएं."
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