किन्नर अखाड़ा बिना शोर-शराबा किए किन्नरों के जीवन में बदलाव ला रहा है। महाकुंभ में यहूदी ईसाई और मुस्लिम किन्नरों ने सनातन धर्म स्वीकार किया जिसमें से कुछ महामंडलेश्वर बने। 2015 में स्थापित यह अखाड़ा समाज में किन्नरों के सम्मान को बढ़ा रहा है। संन्यासी बनने वाले किन्नरों को पूजा जप और संयम का पालन अनिवार्य रूप से करना होता...
जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर। अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी देकर चर्चा में रहे किन्नर अखाड़ा नई पटकथा लिख रहा है। बिना शोर-शराबा किए किन्नरों का रहन-सहन, बोल-चाल बदलने की मुहिम चल रही है। ध्यान, पूजा-पाठ का मर्म आत्मसात करवा रहे हैं। उससे प्रभावित होकर किन्नर तेजी से सनातन धर्म से जुड़ रहे हैं। महाकुंभ में यहूदी, ईसाई और मुस्लिम किन्नरों ने सनातन धर्म स्वीकार किया है। निष्ठा व समर्पण भाव जिसमें अधिक था उन्हें महामंडलेश्वर बनाया गया है। 2015 में बने किन्नर अखाड़ा का शुरुआती दौर...
बैजंती की माला, बदन में साड़ी धारण करने वाले किन्नर धर्मगुरु श्रद्धा का केंद्र हैं। सती कहती हैं कि सनातन धर्म से जुड़ने के बाद उनके जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन आया है। समाज से अपनत्व और सम्मान मिला है। कु भैरवीनंद कहती हैं कि कभी हमारी पहचान नाचने-गाने वालों में होती थी। पैसा मिलता था, लेकिन सम्मान नहीं। अब स्थिति बदल गई है। हमें अपेक्षा से अधिक सम्मान मिल रहा है। ईशानंद व गिरिनारीनंद कहती हैं कि जो किन्नर कभी ताना सुनते थे, उपेक्षित थे वह अब सम्मान पा रहे हैं। यह बदलाव किन्नर अखाड़ा बनने के...
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