श्री पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी ने महाकुंभ क्षेत्र में भव्यता और वैभव के साथ प्रवेश किया. जुलूस में नागा संन्यासियों और 67 महा मंडलेश्वरों की उपस्थिति ने अखाड़े की यात्रा को दिव्यता प्रदान की. अखाड़ा नारी शक्ति को प्राथमिकता देने वाला पहला अखाड़ा है और इस बार की यात्रा में चार महिला महा मंडलेश्वर शामिल थीं.
हाथों में त्रिशूल-भाले, शरीर पर भस्म लपेटे... महाकुंभ में निकला नागा साधु ओं और महामंडलेश्वर ों का काफिला\ प्रयागराज महाकुंभ 2025 के शुभारंभ का एक तरफ जहां सभी को बेसब्री से इंतजार है. तो वहीं गुरुवार को श्री पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी ने अखाड़ों की छावनी में भव्यता और वैभव के साथ प्रवेश किया.गुरुवार को महाकुंभ 2025 की आखिरी तैयारियों के बीच प्रयागराज में श्री पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी ने राजसी वैभव और भव्यता के साथ महाकुंभ क्षेत्र में प्रवेश किया.
इस अवसर पर जगह-जगह संतों और महात्माओं पर पुष्प वर्षा कर कुम्भ मेला प्रशासन और श्रद्धालुओं ने स्वागत किया. इस जुलूस में नागा संन्यासियों और 67 महा मंडलेश्वरों की उपस्थिति ने अखाड़े की यात्रा को दिव्यता प्रदान की. आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद जी के नेतृत्व में जुलूस अलोपीबाग स्थित स्थानीय छावनी से शुरू हुआ तो वहीं भगवान कपिल जी के रथ के साथ आचार्य महामंडलेश्वर का भव्य रथ श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना.महा निर्वाणी अखाड़ा सनातन धर्म के 13 अखाड़ों में सबसे धनवान माना जाता है. यह महा मंडलेश्वर पद की परंपरा शुरू करने वाला पहला अखाड़ा है. अखाड़े का इतिहास और परंपराएं इसे बेहद खास बनाते हैं. महा निर्वाणी अखाड़ा नारी शक्ति को प्राथमिकता देने वाला पहला अखाड़ा है. 1962 में साध्वी गीता भारती को पहला महिला महा मंडलेश्वर बनाया गया. इस बार की यात्रा में भी चार महिला महा मंडलेश्वर शामिल थीं. तीन साल की उम्र में अखाड़े से जुड़ने वाली संतोष पुरी को 'गीता भारती' का सम्मान मिला. दस साल की उम्र में गीता प्रवचन से उन्होंने देशभर में ख्याति अर्जित की. यह नाम उन्हें देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने दिया था. नारी शक्ति और वीरता का प्रतीक वीरांगना वाहिनी सोजत की झांकी श्रद्धालुओं के आकर्षण का विशेष केंद्र दिखाई दी. महिलाओं की भूमिका को दर्शाने वाली इस झांकी की शोभ देखते ही बन रही थी. यात्रा में पर्यावरण संरक्षण के प्रतीक भी साथ चल रहे थे. श्री पंचायती अखाड़े ने हरित संदेश को प्राथमिकता देते हुए श्रद्धालुओं को प्रेरित किया. यह पहल महाकुंभ को अधिक जागरूक और पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकूल बनाने की दिशा में की ग
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