प्रयागराज कुंभ में स्नान करने के लिए महात्मा गांधी ने गोपनीय तरीके से प्रयागराज पहुंचा था। उनके इस कुंभ जाने और सीक्रेट स्नान करने की बात क्षेत्रीय अभिलेखागार में संरक्षित सीआइडी की खुफिया रिपोर्ट में भी दर्ज है।
महाकुंभ का आगाज हो गया है. देशभर से संत-साधु और महात्मा आए हैं और दुनियाभर से आस्थावानों का जमावड़ा लग रहा है. चूंकि ये 144 साल बाद वाला महाकुंभ है, इसलिए इसका महत्व भी कई गुना बढ़ जाता है. सोमवार को पहले अमृत स्नान में करीब 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई. लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रयागराज कुंभ में स्नान करने के लिए महात्मा गांधी सीक्रेट तरीके से पहुंचे थे. जी हां, गांधीजी ने खुद कांग्रेस अधिवेशन के मंच पर कुंभ का किस्सा शेयर किया था.
इस पूरे किस्से का उल्लेख उस समय की एक अंग्रेजी अफसर की खुफिया रिपोर्ट में किया गया था. यह रिपोर्ट क्षेत्रीय राजकीय अभिलेखागार में रखे दस्तावेज में दर्ज है. बात 1918 की है. ये वो साल था, जब देश में असहयोग आंदोलन चरम पर था और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत के सुर जोरदार तरीके से उठने लगे थे. अंग्रेजी अफसर भी बेहद चौकन्ने हो गए थे और महात्मा गांधी उस समय घूम-घूम कर रैलियां कर रहे थे.साल 1918 में प्रयागराज में कुंभ का भी आयोजन चल रहा था. महात्मा गांधी ने कुंभ में डुबकी लगाने का प्लान बनाया. वे इतने गोपनीय तरीके से प्रयागराज पहुंचे कि इसकी भनक किसी को नहीं लग सकी. गांधीजी संगम किनारे ही एक कुटी में ठहरे थे और कुंभ में स्नान किए थे. तीन साल बाद उन्होंने खुद इस बात का खुलासा किया था. 10 फरवरी 1921 को यूपी के फैजाबाद में कांग्रेस अधिवेशन का मंच सजा था. महात्मा गांधी भी इस अधिवेशन में पहुंचे और कुंभ में डुबकी लगाने के सीक्रेट प्लान का खुलासा किया था. महात्मा गांधी के कुंभ जाने और सीक्रेट स्नान करने की बात क्षेत्रीय अभिलेखागार में संरक्षित सीआइडी की खुफिया रिपोर्ट में भी दर्ज है.Advertisementमहात्मा गांधी ने फैजाबाद में कहा था, मुझे पहले ही अयोध्या की यात्रा (फैजाबाद) पर आना था, लेकिन इलाहाबाद में कुंभ मेला में जाने के कारण विलंब हो गया. कुंभ में एक माह से ज्यादा समय तक बड़ी संख्या में लोग रहते हैं, इसलिए मैंने पहले वहां जाकर डुबकी लगाई. महात्मा गांधी की इस बात का जिक्र उस समय की सीआइडी रिपोर्ट में है. अंग्रेजी शासन के आदेश पर सीआइडी की टीम उस समय महात्मा गांधी की जनसभा पर नजर रख रही थी. CID की ये रिपोर्ट राजकीय अभिलेखगार में रखी है.दरअसल, कुंभ में हमेशा भारी भीड़ जुटती आई है. 1900 के दशक में अंग्रेजी शासन की खिलाफत चल रही थी. अंग्रेज नहीं चाहते थे कि कहीं भीड़ इकट्ठा हो और उनके खिलाफ माहौल बनाने की गुंजाइश रहे. चूंकि अंग्रेज इसे सामाजिक खतरे के रूप में देखते थे. ऐसे में उन्होंने कुंभ मेले में भीड़ को रोकने के लिए कदम उठाए. ट्रेन टिकट पर बैन लगाया. ट्रेनों को कम किया गया और लंबी दूरी से आने वाली ट्रेनों पर ब्रेक लगाया गया.कैसे प्रयागराज जाने का बना प्लान?बात 1915 की है. हरिद्वार में कुंभ चल रहा था. वहां महात्मा गांधी भी पहुंचे और उन्होंने अपने राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले से मुलाकात की. दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई. गोखले ने उन्हें कुंभ के अवसर पर इलाहाबाद जाने की सलाह दी. तीन साल बाद महात्मा गांधी ना सिर्फ इलाहाबाद (अब प्रयागराज) कुंभ पहुंचे, बल्कि वहां लोगों से मुलाकात की और उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में एक्टिव रहने के लिए प्रेरित भी किया. गांधीजी ने संगम में स्नान भी किया था. दरअसल, स्वतंत्रता संग्राम सेनियों के लिए इस तरह के मेले ही लोगों से जुड़ने और जागरुक करने के बेहतर मौके माने जाते थे. महात्मा गांधी भी इस कुंभ को एक अवसर मानकर पहुंचे थे, ताकि वहां जाकर लोगों की भावनाएं समझी जाएं और अपने विचार साझा किए जाएं
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