महायुति सरकार की लाड़की बहन योजना से महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे को आर्थिक बोझ महसूस हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह योजना से राज्य के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है और कृषि ऋण माफी योजना लागू नहीं हो पा रही है।
महायुति सरकार की लाड़की बहन योजना को महाराष्ट्र के कृषि मंत्री ने आर्थिक बोझ करार दिया है। कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने कहा कि लाड़की बहन योजना से राज्य के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। इसके चलते कृषि ऋण माफी योजना लागू नहीं हो पा रही है। पुणे में कृषि मंत्री कोकाटे ने कहा कि लाड़की बहन योजना के चलते पैदा हुए वित्तीय तनाव ने राज्य की अधिशेष बनाने की क्षमता को बाधित कर दिया है। इस अधिशेष से किसानों का कृषि ऋण माफ किया जाता। एनसीपी नेता ने कहा लाड़की बहन योजना के कारण पैदा हुए बोझ ने कृषि
ऋण माफी के लिए अलग से धन रखने की हमारी क्षमता को प्रभावित किया है। हम वित्तीय स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और एक बार राज्य की आय बढ़ जाने के बाद हम अगले चार से छह महीनों में ऋण माफी योजना ला सकेंगे। उन्होंने कहा कि ऋण माफी योजना को लागू करने का काम राज्य के सहकारिता विभाग का है। इसका फैसला मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री लेंगे। फर्जी लाभार्थियों की जांच की जाएगी: अदिति पिछले सप्ताह महाराष्ट्र की महिला और बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने कहा था कि सरकार केवल फर्जी लाभार्थियों के बारे में शिकायतों का समाधान करेगी। महाराष्ट्र सरकार लाड़की बहन योजना के लाभार्थियों की जांच करने के लिए कोई अभियान नहीं चला रही है। हमने कोई सरकारी नीति नहीं बदली है। हम केवल स्थानीय सरकारी कार्यालयों में दर्ज शिकायतों का समाधान कर रहे हैं।' इससे पहले उन्होंने कहा था कि योजना के लाभार्थियों के बारे में कोई जांच नहीं की जाएगी। हमने आयकर विभाग और राज्य परिवहन विभाग से डाटा मांगा है क्योंकि कुछ शिकायतों में ऐसे लाभार्थी शामिल हैं जिनकी आय निर्धारित सीमा से अधिक है या जिनके पास चार पहिया वाहन है। एक बार जब हमें यह डाटा मिल जाएगा, तो हम उन शिकायतों का समाधान कर सकेंगे।' सरकार खर्च कर रही 46 हजार करोड़ पिछले साल अगस्त में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पिछली सरकार की तरफ से शुरू की गई मुख्यमंत्री माझी लाड़की बहन योजना के तहत पात्र महिलाओं को 1,500 रुपये का मासिक भत्ता दिया जाता है। कहा जाता है कि इस योजना ने 20 नवंबर 2024 के चुनावों में सत्तारूढ़ महायुति की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इससे राज्य पर सालाना लगभग 46,000 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है
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