दरअसल ये संपत्ति पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की थी. यूं तो लियाकत हरियाणा के हिसार के रहने वाले थे लेकिन उनके पिता की बड़ी संपत्ति मुजफ्फरनगर में भी थी. बाद में इसकी जांच कराई गई और दिल्ली में शत्रु संपत्ति अधिकरण को इसकी रिपोर्ट भेजी गई.
संभल और बदायूं की जामा मस्जिद का विवाद अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि मुजफ्फरनगर की एक मस्जिद विवाद ने भी हलचल मचा दी है. हालांकि इस मस्जिद में किसी मंदिर को तोड़कर बनाए जाने का मामला नहीं है बल्कि यह शत्रु संपत्ति को मस्जिद बनाकर कब्जा करने कोशिश का आरोप है. शत्रु संपत्ति यानी वो जमीन है जिसे केंद्र सरकार ने 1968 में शत्रु संपत्ति इसलिए घोषित कर दिया क्योंकि यह लोग विभाजन के वक्त पाकिस्तान चले गए, लेकिन यह शत्रु संपत्ति कुछ खास है. दरअसल ये संपत्ति पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की थी.
क्यों उठा मुद्दाकरीब डेढ़ साल पहले मुजफ्फरनगर की एक संस्था हिंदू सनातन संगठन के संयोजक संजय अरोड़ा ने इस जमीन को लेकरएक प्रार्थना पत्र प्रशासन को दिया था जिसमें यह दावा किया कि यह जमीन पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की है जिस पर अवैध तरीके से जमीन मस्जिद और दुकानें बनाई गई हैं इस शत्रु संपत्ति घोषित किया जाए.इसके बाद इस जमीन की जांच हुई और इस मस्जिद के एक दुकान के मालिक ने इस वक़्फ़ की संपत्ति बताते हुए शत्रु संपत्ति होने को नाकारा.
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