No Need To Criminalise Marital Rape Centre tells Supreme Court | केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग वाली याचिकाओं का विरोध किया है। केंद्र ने कहा कि भारत के मौजूदा रेप कानून में पति-पत्नी के बीच संबंधों को लेकर अपवाद दिया...
सुप्रीम कोर्ट से कहा- ये कानूनी नहीं सामाजिक मुद्दा, आपके अधिकार क्षेत्र में नहीं आताकर्नाटक और दिल्ली हाईकोर्ट के दो फैसलों के खिलाफ मैरिटल रेप को क्रिमिनलाइज करने की मांग का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।
सरकार ने कहा कि यह मुद्दा कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक है। इसके बावजूद अगर इसे अपराध घोषित करना ही है, तो यह सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 के अपवाद 2 के मुताबिक मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना गया है। हालांकि इस मामले पर केंद्र सरकार को भी जवाब दाखिल करना है। केंद्र का कहना है, कानूनों में बदलाव के लिए विचार-विमर्श की जरूरत है।मैरिटल रेप को लेकर नए कानून बनाने की मांग काफी समय से हो रही थी। पिछले दो सालों में दिल्ली हाईकोर्ट और कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद इसकी मांग और तेज हो गई। सुप्रीम कोर्ट में दो मुख्य याचिकाएं हैं, जिन पर सुनवाई होगी। एक याचिका पति की तरफ से लगाई गई, तो दूसरी अन्य मामले...
2016 में मोदी सरकार ने मैरिटल रेप के विचार को खारिज कर दिया था। सरकार ने कहा था कि देश में अशिक्षा, गरीबी, ढेरों सामाजिक रीति-रिवाजों, मूल्यों, धार्मिक विश्वासों और विवाह को एक संस्कार के रूप में मानने की समाज की मानसिकता जैसे विभिन्न कारणों से इसे भारतीय संदर्भ में लागू नहीं किया जा सकता है।
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