उत्तर प्रदेश में जमीन नामांतरण से जुड़े सभी प्रकार के मामले अब ऑनलाइन हो जाएंगे। इससे लोगों को सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी।
उत्तर प्रदेश में जमीन नामांतरण से जुड़े सभी प्रकार के मामले अब ऑनलाइन हो जाएंगे। इससे लोगों को सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। राजस्व परिषद के डायरेक्टर अनिल कुमार ने दैनिक भास्कर से बातचीत में यह बात कही। उन्होंने कहा कि अविवादित नामांतरण से जवहीं, यूपी में खतौनी का भी अब डिजिटलीकरण किया जा रहा है। जमीन से जुड़े मामलों के तीन मुख्य आयाम होते हैं - इसमें खतौनी, जमीन का प्रकार और सजरा होता है। मुख्यमंत्री का विजन है कि जन सामान्य की समस्या खत्म हो। इसके लिए खतौनी में कोई
गलती नहीं होने के लिए काम किया जा रहा है। नामांतरण में वारिस दर्ज करने में अभी 90 दिन का समय लगता है। इसे 90 दिन से अधिक पेंडिंग नहीं होना चाहिए। स्टांप रजिस्ट्रेशन से रिक्वेस्ट किया है कि आप लोगों इसकी जानकारी वेबसाइट से ही उठाएं। 60 प्रतिशत जमीन पर तहसील में सिर्फ इसलिए समय लेना होता है कि मुझे समय दिया जाए आपत्ति लगाने के लिए, लेकिन अब क्लियर कट डायरेक्शन लागू किया जाएगा जिससे जनता को सहूलियत मिले। उद्यमियों ने उठाई समस्या तो बोले नामांतरण पर जारी करेंगे निर्देश उद्यमियों की तरफ से कहा गया कि जमीन लेने पर धारा 80 की मंजूरी लेने में असुविधा होते हैं। इससे शोषण होता है। जमीन लेने के बाद चेक रोड अंदर आने पर उसकी जगह जमीन दिया जाता था, लेकिन अब ये कमिश्नर स्तर की मंजूरी के बाद होता है। इसे अब जिलाधिकारी स्तर पर करने की मांग की गई। इस पर राजस्व परिषद के निदेशक ने कहा कि पहले यह व्यवस्था शासन के पास थी। अब कमिश्नर स्तर के पास में थी। SDM को चेक रोड को शिफ्ट करने का अधिकार नहीं है। इसके साथ ही जमीन पर डायरेक्टर बदलने के बाद कंपनी की जमीन को दोबारा नामांतरण कराने में समस्या होती है। इस दौरान तहसील स्तर के लोग पहले डायरेक्टर के नाम पर ही सिर्फ बात करते हैं न कि कंपनी के। इसपर राजस्व परिषद के निदेशक ने कहा कि नामांतरण के इस विषय पर जरूरी निर्देश एक सप्ताह में जारी होंगे ताकि लोगों को सुविधा मिले
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