यह खबर राकेश शर्मा के अंतरिक्ष यात्रा के बारे में है, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था.
भारत के इतिहास में 3 अप्रैल 1984 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज है. यह वही दिन था जब भारत ीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में कदम रखकर इतिहास रच दिया. राकेश शर्मा पहले भारत ीय थे जिन्होंने सोवियत संघ के सोयुज टी-11 अंतरिक्षयान के जरिए अंतरिक्ष यात्रा की. राकेश शर्मा की यह यात्रा केवल एक मिशन नहीं थी.. बल्कि यह भारत की अंतरिक्ष यात्रा की नींव थी. उनके शब्द.. 'सारे जहां से अच्छा' आज भी हर भारत ीय के दिल में गर्व भर देते हैं. 13 जनवरी को राकेश शर्मा का जन्मदिन है.
आइये इस अवसर पर उनकी अंतरिक्ष यात्रा के बारे में रोचक फैक्ट्स पर नजर डालें..राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के सैल्यूट-7 अंतरिक्ष स्टेशन पर सात दिन बिताए. इस मिशन के दौरान उन्होंने भारतीय तिरंगे को अंतरिक्ष में गर्व से लहराया. उनके साथ सोवियत संघ के दो अंतरिक्षयात्री, यूरी मालिशेव और गेन्नादी स्ट्रेकालोव भी इस ऐतिहासिक यात्रा का हिस्सा थे.सोयुज टी-11 ने कजाकिस्तान के बैकोनूर कोस्मोड्रोम से उड़ान भरी. 16 घंटे की लंबी यात्रा के बाद अंतरिक्षयान सैल्यूट-7 स्टेशन से जुड़ा. इसके बाद तीनों अंतरिक्षयात्री स्टेशन के पांच मॉड्यूल में पहुंचे और वहां विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों और पृथ्वी के निरीक्षण का काम शुरू किया.राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में योग का अभ्यास कर यह साबित किया कि भारतीय परंपराएं आधुनिक विज्ञान में भी योगदान दे सकती हैं. उन्होंने हर दिन 10 मिनट योग किया. जिससे यह समझने की कोशिश की गई कि शून्य गुरुत्वाकर्षण में शरीर पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है.राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में शून्य गुरुत्वाकर्षण का दिल पर प्रभाव जानने के लिए कई प्रयोग किए. उनके शरीर पर इलेक्ट्रोड लगाए गए थे, जो उनके दिल की स्थिति और गति को मापते थे. ये उपकरण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा बनाए गए थे.राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष से भारत के 60% हिस्से की तस्वीरें खींचीं. उन्होंने मल्टी-स्पेक्ट्रल कैमरों का उपयोग कर प्राकृतिक संसाधनों का मानचित्रण किया. इन तस्वीरों ने भारत के संसाधनों के प्रबंधन और अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया.राकेश शर्मा ने सैल्यूट स्टेशन पर भारत की यादों को संजोए रखा. उन्होंने वहां तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और रक्षा मंत्री वेंकटरमण की तस्वीरें लगाईं. इसके अलावा, उन्होंने महात्मा गांधी की समाधि राजघाट की मिट्टी भी साथ ले गए.राकेश शर्मा 11 अप्रैल 1984 को सोयुज टी-10 मॉड्यूल के जरिए धरती पर लौटे. उनका अंतरिक्षयान कजाकिस्तान के आर्कालिक नामक स्थान पर उतरा. इस ऐतिहासिक मिशन के लिए उन्हें भारत सरकार ने अशोक चक्र से सम्मानित किया. वहीं, सोवियत संघ ने उन्हें ‘हीरो ऑफ द सोवियत यूनियन’ की उपाधि दी.राकेश शर्मा के मिशन के दौरान उनके साथी और भारतीय वायुसेना के पायलट रविश मल्होत्रा ने भी अहम भूमिका निभाई. उन्हें इस योगदान के लिए कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया. आज जब भारत अपने गगनयान मिशन की तैयारी कर रहा है, राकेश शर्मा का यह ऐतिहासिक कदम प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है. उनका यह साहसिक कार्य न केवल भारत के लिए गर्व का विषय है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा भी है
राकेश शर्मा अंतरिक्ष यात्रा भारत सोयुज टी-11 सैल्यूट-7
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