राजस्थान सरकार ने भाजनलाल कैबिनेट ने शनिवार को बड़ा निर्णय लेते हुए गहलोत सरकार में नवगठित जिलों में से नौ जिले और तीन संभाग खत्म कर दिया है।
राजस्थान सरकार ने भाजनलाल कैबिनेट ने शनिवार को बड़ा निर्णय लेते हुए गहलोत सरकार में नवगठित जिलों में से नौ जिले और तीन संभाग खत्म कर दिया है। इस निर्णय के बाद राजस्थान में कुल जिलों की संख्या 50 से घटकर 41 रह गई है। यह निर्णय वित्तीय संसाधनों के उचित उपयोग और जनसंख्या के संतुलन को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि नए जिलों और संभाग ों के गठन में कई व्यवहारिक समस्याएं थीं। जैसे कि पर्याप्त तहसीलें न होना, पद सृजन और कार्यालयों की व्यवस्था की कमी। समीक्षा
समिति ने इन जिलों की उपयोगिता को लेकर स्पष्ट निष्कर्ष निकाला, जिससे यह निर्णय लिया गया। ये जिले रहेंगे बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन, कोटपूतली-बहरोड, खैरथल-तिजारा, फलौदी और सलूंबर। इन जिलों की मान्यता खत्म दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़ और सांचौर। इन संभागों की मान्यता खत्म सीकर, पाली और बांसवाड़ा संभाग को खत्म किया गया। कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया, समान पात्रता परीक्षा (सीईटी) के स्कोर को तीन साल तक मान्य रखने का फैसला भी सराहनीय है। यह छात्रों को राहत देगा और प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए अधिक अवसर प्रदान करेगा। साथ ही, खाद्य सुरक्षा योजना में नए लाभार्थियों को जोड़ने का अभियान समाज के वंचित वर्गों के लिए सकारात्मक कदम है। जोगाराम पटेल बोले, गहलोत शासन के दौरान नए जिलों और संभागों के गठन को लेकर उठाए गए कदमों की आलोचना भी स्वाभाविक है। इन इकाइयों को बिना समुचित योजना और संसाधनों के गठन करना प्रशासनिक अक्षमता को दर्शाता है। समीक्षा समिति के निष्कर्ष बताते हैं कि नए जिलों की घोषणा राजनीतिक लाभ के लिए की गई थी, न कि जनता के दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखकर। भजनलाल सरकार द्वारा इन जिलों को समाप्त करना उचित हो सकता है। लेकिन इससे उन क्षेत्रों में जनता के बीच असंतोष भी उत्पन्न हो सकता है, जो नए जिलों के गठन से लाभान्वित होने की उम्मीद कर रहे थे। यह निर्णय, हालांकि तर्कसंगत है। इसे लागू करने की प्रक्रिया और समय सीमा को लेकर विवाद उत्पन्न कर सकता है। मंत्री पटेल बोले, जनगणना रजिस्ट्रार जनरल द्वारा एक जनवरी से सीमाओं को फ्रिज करने के कारण सरकार पर 31 दिसंबर तक निर्णय लेने का दबाव बना। लेकिन यह एक अल्पकालिक समाधान है
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