साधुओं द्वारा लंबी जटाएं रखना न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी हो होते हैं.
साधु-संतों की जटाएं उनके जीवन के त्याग, तपस्या, और प्राकृतिक जीवन शैली का प्रतीक हैं. आइए इसे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से समझते हैं.धार्मिक कारण: वैराग्य का प्रतीकभगवान शिव को"जटाधारी" कहा जाता है. साधु शिव को अपना आदर्श मानते हैं और उनकी जीवनशैली का अनुसरण करते हुए जटाएं रखते हैं.साधुओं का मानना है कि जटाएं उनके लंबे समय तक ध्यान और साधना की निशानी हैं. यह उनके तपस्वी जीवन का प्रतीक है.
इससे साधुओं को ठंडे और गर्म वातावरण में संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है.जटाएं सिर के लिए एक प्राकृतिक इन्सुलेशन का काम करती हैं. रेगिस्तान, जंगल या पहाड़ जैसे कठिन वातावरण में, यह बाल सिर को धूप, ठंड, और धूल से बचाते हैं.सिर के बाल तंत्रिका तंत्र से जुड़े होते हैं. लंबे बाल खोपड़ी की नसों को स्थिरता और शांतता प्रदान कर सकते हैं, जिससे ध्यान और मानसिक शांति को बढ़ावा मिलता है.जटाएं रखने से बालों की जड़ों पर खिंचाव होता है, जो सिर की रक्त परिसंचरण को बेहतर बना सकता है.
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