सहारनपुर के किसान लो टनल विधि से खीरे की खेती कर रहे हैं और इससे उन्हें तीन गुना अधिक लाभ हो रहा है.
सहारनपुर के किसान अक्सर विभिन्न प्रकार की खेती करना पसंद करते हैं. इसी क्रम में वे इन दिनों बियाँ मौसम के खेती करना काफी पसंद कर रहे हैं. जिसमें से एक खेती खीरे की है. इसको लो टनल विधि से ठंड में भी आसानी से किया जा सकता है. इस खेती को सर्दी में करने से किसान को फसल के तीन गुना अधिक दाम मिलते हैं. लो टनल विधि से किसान टेंपरेचर को आसानी से मेंटेन रख सकता है.
कैसे होती है ये खेती लो टनल खेती के लिए, दो से तीन मीटर लंबी और एक सेंटीमीटर मोटी जीआई (लोहे) सरिया या बांस की फट्टियों को अर्द्ध गोलाकार एक से डेढ़ मीटर चौड़े बेड पर दो मीटर की दूरी पर गाड़ा जाता है. इसके ऊपर 25-30 माइक्रोन की पारदर्शी पॉलीथीन सीट से ढक दिया जाता है. इस तरह ढाई से तीन फुट ऊंचाई की टनल बनकर तैयार हो जाती है. इसमें कीट-रोगों का खतरा नहीं रहता साथ ही मौसम की अनिश्चितताओं से नुकसान नहीं होता. मिलते हैं कई फायदे बीजों का जमाव बेहतर ढंग से होने के साथ पौधों का विकास आसानी से होता है. सब्ज़ियां और फल समय से पहले ही पककर तैयार हो जाते हैं. जबकि ड्रिप इरिगेशन तकनीक से सिंचाई की जाती है. ज़्यादातर अधिक गर्मी या ज़्यादा सर्दी या बारिश के मौसम में इसका इस्तेमाल किया जाता है. लो टनल विधि से किसानों को हो रहा लाभ किसान सुभाष सैनी ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि पिछले दो साल से वे लो टनल विधि से खीरे की खेती कर रहे हैं. नवंबर लास्ट या फिर दिसंबर के स्टार्टिंग में इस लो टनल विधि से खेती की जाती है. जिसमें उन्होंने खीरे की खेती शुरू की है. इस खीरे की खेती में फरवरी महीने के लास्ट में टनल हटा दिया जाता है और उस समय इस खीरे के दाम अन्य खीरे से तीन गुना अधिक मिलते हैं. लो टनल विधि द्वारा लगाई की फसल में दिन का टेंपरेचर 25℃ और रात का टेंपरेचर 15℃ डिग्री बना रहता है. खीरे की खेती में देसी खाद का इस्तेमाल करते हैं बाद में उसमें डीएपी, पोटाश और सल्फर लाइन बनाकर कर उसमें दबा दिया जाता है. लो टनल विधि में 10 हजार रुपये बीघा के हिसाब से फसल में लागत आती है. जबकि 50 से 60 हजार प्रति बीघा के हिसाब से बचत हो जाती है
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