वक्फ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति ने भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सांसदों के प्रस्तावों को स्वीकार किया है, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि उनकी बात नहीं सुनी गई और जेपीसी में लोकतांत्रिक प्रक्रिया नष्ट कर दी गई।
वक्फ विधेयक पर बनी संयुक्त संसदीय समिति ने भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सांसदों के द्वारा प्रस्तावित संशोधनों को अपना लिया है। हालांकि विपक्षी सांसदों का आरोप है कि उनकी दलीलों को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है और उनकी बात नहीं सुनी गई। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि जेपीसी की बैठकों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नष्ट कर दिया गया है। टीएमसी सांसद और जेपीसी के सदस्य कल्याण बनर्जी ने कहा कि समिति की अध्यक्ष जगदंबिका पाल तानाशाही तरीके से काम कर रही हैं और उनकी बात नहीं सुनी गई। उन्होंने पूरी प्रक्रिया को
हास्यास्पद करार दिया और इस दिन को लोकतंत्र के इतिहास में एक काला दिन बताया। जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक तरीके से हुई और बहुमत के आधार पर फैसले लिए गए। जेपीसी की बैठकों में 44 संशोधनों पर चर्चा हुई और 14 संशोधनों को बहुमत के आधार पर स्वीकार किया गया। समिति ने 108 घंटे विधेयक पर चर्चा की और 284 हितधारकों से बात की। विपक्षी सांसदों ने दावा किया कि विधेयक के खंडों पर चर्चा नहीं हुई और बिना पक्ष सुने संशोधनों पर मतदान करा दिया गया। उन्हें बताया गया है कि 29 जनवरी को विधेयक का अंतिम ड्राफ्ट पेश किया जाएगा।
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