जिला प्रशासन ने संभल में खंडहर हो चुके बांके बिहारी मंदिर की जांच शुरू की है.
संभल जिले के चंदौसी इलाके में बांके बिहारी मंदिर के बारे में एक ज्ञापन पर कार्रवाई करते हुए, जिला प्रशासन मंगलवार को ढांचे की आयु निर्धारित करने और दीवारों पर पाए गए देवताओं के प्रतीकों से संबंधित तथ्यों की जांच करने के लिए मौके पर पहुंचा. इससे पहले, श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर ) को 13 दिसंबर को फिर से खोल दिया गया था. अधिकारियों ने कहा था कि अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान उनकी नजर ढके हुए ढांचे पर पड़ी. मंदिर में भगवान हनुमान की एक मूर्ति और एक 'शिवलिंग' मिला था.
खंडहर हो चुका है मंदिर पत्रकारों से बात करते हुए चंदौसी के तहसीलदार धीरेंद्र सिंह ने कहा कि तहसील दिवस (21 दिसंबर) पर बांके बिहारी मंदिर, जो खंडहर हो चुका है, के संबंध में जिलाधिकारी को एक शिकायत सौंपी गई थी. उन्होंने कहा कि मंदिर में भगवान शिव से संबंधित प्रतीक चिन्ह मिले हैं. इसके अलावा दीवारों पर भगवान राम और देवी सीता की मूर्तियां भी उकेरी गई हैं. तहसीलदार ने कहा कि मंदिर की उम्र निर्धारित की जाएगी और किन परिस्थितियों में यह खंडहर हुआ, इसकी भी जांच की जाएगी. सिंह ने कहा कि बांके बिहारी मंदिर 1.137 हेक्टेयर में फैला हुआ है. उन्होंने कहा कि अगर अतिक्रमण पाया गया तो उसे भी तत्काल हटाया जाएगा. 1870 में हुई थी स्थापना जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया से शिकायत करने वाले स्थानीय निवासी कौशल किशोर ने कहा कि उन्होंने संभल जिले के चंदौसी इलाके में एक पुराने मंदिर के अस्तित्व के बारे में अधिकारी को सूचित किया था जो अब खंडहर हो चुका है. उन्होंने कहा कि बांके बिहारी मंदिर की स्थापना 1870 में हुई थी. 150 साल पुराना मंदिर लक्ष्मण गंज क्षेत्र में स्थित है. किशोर ने कहा कि पहले यहां बड़ी संख्या में हिंदू आबादी थी लेकिन मंदिर के पुजारी की हत्या के बाद हिंदू यहां से चले गए. उन्होंने कहा कि मई 2010 में, मंदिर में भगवान शिव और बाकी मूर्तियों को असामाजिक तत्वों ने तोड़ दिया था और पूरा मंदिर खंडहर में बदल गया था
मंदिर जांच खंडहर संभल अतिक्रमण
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