सरसों तेल: प्राचीन उपचार से आज की जीवनशैली में

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सरसों तेल: प्राचीन उपचार से आज की जीवनशैली में
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उदासीनाथ मठ बसंतपुर बलिया के मठाधीश आचार्य नित्यानंद दास ने सरसों तेल के लाभों के बारे में बताया है.

उदासीनाथ मठ बसंतपुर बलिया के मठाधीश आचार्य नित्यानंद दास ने Local18 को बताया कि सरसों लगाने की परम्परा बचपन से देखते आ रहे हैं. खास तौर पर ठंड के मौसम में सरसों का तेल लगाने का क्रम एक प्राचीन परंपरा है. यह दादी और नानी के घरेलू नुस्खे का एक बहुत महत्वपूर्ण अंग है. यह एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फ़ंगल, और एंटी-इंफ़्लेमेटरी जैसे तमाम गुणों का भंडार है. दादी-नानी ठंडी में अपने बच्चों को रोटी में शुद्ध सरसों का तेल और नमक लपेटकर खाने को देती थी. इससे बच्चों को गर्मी मिलती है.

छत पर या जहां कहीं धूप निकला हो वहां सरसों का तेल खुद से अपने शरीर में लगभग आधे घंटे तक मालिश करें. इसके बाद स्नान कर ले. इससे शरीर दिन भर चुस्त तंदुरुस्त रहता है. नाक में सरसों के तेल की दो-तीन बूंद डालने से सर्दी-खांसी गायब हो जाती है. सरसों के तेल में विटामिन ई होता है, जो झाइयों और झुर्रियों को दूर कर सुंदरता प्रदान करता है. आधा चम्मच सरसों का तेल, एक चम्मच हल्दी, और आधा चम्मच नमक मिलाकर दांत और मसूड़ों पर लगाने से दांत दर्द में रहता मिलती है. सरसों के तेल का मालिश करने से जोर-जोर के दर्द से राहत मिलती है और नस-नस में एनर्जी भर जाती है. सरसों का तेल नाभि में लगाने से होंठ फटने जैसी समस्याओं से निजात मिलती है. (यह बड़े बुजुर्गों से बातचीत करके खबर लिखी गई है. हानि और लाभ महज संयोग है अतः news 18 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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सरसों तेल प्राचीन उपचार स्वास्थ्य लाभ दर्द गर्मी

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