सिंहस्थ महाकुंभ 2028 उज्जैन में 27 मार्च से 27 मई, 2028 तक आयोजित होगा। यह ज्योतिषीय गणना के अनुसार बृहस्पति की सिंह राशि में प्रवेश और सूर्य की मेष राशि में स्थिति के कारण होता है। इस दौरान तीन शाही स्नान और सात पर्व स्नान होंगे, जिनका विशेष धार्मिक महत्व है। शिप्रा नदी में स्नान करने से जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Mahakumbh 2025: अगले महाकुंभ को सिंहस्थ महाकुंभ कहे जाने का कारण ज्योतिष ीय गणना से जुड़ा है. कुंभ मेले का आयोजन ग्रहों की विशेष स्थिति और सूर्य, बृहस्पति की राशि स्थितियों के आधार पर होता है. जब बृहस्पति सिंह राशि में प्रवेश करता है और सूर्य मेष राशि में स्थित होता है, तब सिंहस्थ कुंभ का आयोजन होता है. हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन इन चार स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है, लेकिन सिंहस्थ कुंभ विशेष रूप से उज्जैन में आयोजित किया जाता है.
मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत कलश के लिए संघर्ष हुआ था. इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में गिरीं. इसलिए, कुंभ मेले में स्नान को पुण्य प्राप्ति और मोक्ष का मार्ग माना जाता है. शिप्रा नदी का दिव्य महत्व उज्जैन में कुंभ मां शिप्रा नदी के तट पर आयोजित होता है. शास्त्रों के अनुसार, यह नदी भगवान शिव के वरदान से अमृतमयी हो गई थी.
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