मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने भारतीय ओलंपिक संघ और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के संविधान को अंतिम रूप देने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने कहा कि मैं इन मामलों की सुनवाई के लिए पीठ का हिस्सा नहीं हूं क्योंकि इसे मैं पहले दिल्ली हाईकोर्ट में सुन चुका हूं।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने भारतीय ओलंपिक संघ और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के संविधान ों को अंतिम रूप देने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने कहा कि मैं इन मामलों की सुनवाई के लिए पीठ का हिस्सा नहीं हूं क्योंकि इसे मैं पहले दिल्ली हाईकोर्ट में सुन चुका हूं। भारतीय ओलंपिक संघ और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के संविधान को अंतिम रूप देने से संबंधित दो अलग-अलग याचिकाएं सोमवार को मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की खंडपीठ के समक्ष पहुंचीं। कार्यवाही शुरू
करने से पहले मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह इन मामलों की सुनवाई के लिए पीठ का हिस्सा नहीं होंगे। उन्होंने पहले दिल्ली हाईकोर्ट में इससे जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई की थी। शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इन याचिकाओं पर रिपोर्ट तैयार की है। सीजेआई ने कहा कि याचिकाओं को 10 फरवरी को न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली दूसरी पीठ के समक्ष लाया जाए मुझे दिल्ली उच्च न्यायालय में इसकी सुनवाई याद है। याचिकाओं पर आखिरी बार 19 मार्च 2024 को तत्कालीन सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की थी। पीठ ने तब अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को न्यायमूर्ति राव द्वारा प्रस्तावित संविधान के मसौदे पर अपनी आपत्तियां दर्ज करने की अनुमति दी थी। पीठ ने कहा था वह सुनवाई की अगली तारीख पर भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) और एआईएफएफ संविधान के बारे में उठाए गए मुद्दों पर फैसला करेगा। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को दी गई थी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दरअसल, अगस्त 2022 में दिल्ली हाईकोर्ट ने आईओए के संविधान तैयार करने और चुनाव कराने को लेकर प्रशासकों की समिति (CoA) नियुक्त की थी। इसी तरह का मामला भारतीय फुटबॉल संघ (AIFF) में भी सामने आया था। सीओए की नियुक्ति के बाद फुटबॉल की सबसे बड़ी संस्था फीफा (FIFA) ने एआईएफएफ पर बैन लगा दिया था। IOA को भी इसी बात का खतरा था कि कहीं अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ भी उन पर बैन न लगा दे। इसी को लेकर IOA सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) और आईओए के संविधान के नियमन पर एक मसौदा रिपोर्ट तैयार करने के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव को नियुक्त किया था
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