सीतामढ़ी में ड्रैगन फ्रूट की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है, खासकर पीले ड्रैगन फ्रूट। इसकी उच्च मांग और अच्छा मूल्य इस फसल को किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी बनाता है।
सीतामढ़ी में ड्रैगन फ्रूट की खेती इन दिनों काफी तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है। यह फूल किसानों को लंबे समय तक अच्छी आय प्रदान करने का वादा करता है। बाजार में इसकी मांग लगातार बनी रहती है, जिसके कारण किसानों को इसके लिए अच्छा मूल्य मिलता है। आमतौर पर, तीन किस्मों के ड्रैगन फ्रूट की खेती की जाती है। इन किस्मों को फल और बीजों के रंग और आकार के आधार पर अलग-अलग किया जाता है। सीतामढ़ी और पूरे बिहार में सबसे अधिक खेती जाने वाली किस्म गुलाबी ड्रैगन फ्रूट है। लेकिन, पीले ड्रैगन फ्रूट की खेती बहुत अधिक
लाभकारी मानी जाती है। पीले ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली हल्की मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। अच्छे उत्पादन के लिए, मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। इसके पौधे पहले नर्सरी में तैयार किए जाते हैं और फिर खेत में रोपाई के लिए तैयार किए जाते हैं। रोपाई के समय, पौधों के बीच की दूरी लगभग 2 मीटर रखनी चाहिए। इस खेती में गोबर की खाद या जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। रोपाई के बाद, इसके पौधों में लगभग 1 से 1.5 साल में फल लगने लगते हैं। पीले ड्रैगन फ्रूट की खेती से बहुत अधिक लाभ कमाया जा सकता है क्योंकि इसकी मांग बाजार में बहुत अधिक है। बाजार में पीले ड्रैगन फ्रूट की कीमत लगभग 300 से 400 रुपए प्रति किलो तक होती है। एक एकड़ में पीले ड्रैगन फ्रूट की खेती करने से लगभग 5 से 6 टन तक की पैदावार हो सकती है
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सीतामढ़ी में पीले ड्रैगन फ्रूट की खेती: किसानों की आय का नया स्रोतड्रैगन फ्रूट की खेती बिहार के सीतामढ़ी में किसानों के लिए एक आशाजनक अवसर बन रही है। खासकर पीले ड्रैगन फ्रूट की खेती, उच्च कीमत और बाजार में स्थिर मांग के कारण अच्छी आय प्रदान कर रही है। इस लेख में, हम पीले ड्रैगन फ्रूट की खेती के लाभ, आवश्यक परिस्थितियां और उत्पादन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।
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