सुप्रीम कोर्ट पर केंद्र सरकार की फटकार, विकलांगता पेंशन मामले में

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सुप्रीम कोर्ट पर केंद्र सरकार की फटकार, विकलांगता पेंशन मामले में
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सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को सशस्त्र बलों की मनोबल को नुकसान पहुंचाने वाले विकलांगता पेंशन संबंधी याचिकाओं पर कड़ी आलोचना की है। न्यायाधीशों ने सरकार से एक नीति बनाने और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया है।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सेवानिवृत्त सैनिकों को विकलांगता पेंशन देने को लेकर केंद्र सरकार पर कड़ी आलोचना की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार द्वारा ऐसी छोटी-मोटी याचिकाएं दायर करके सशस्त्र बलों का मनोबल नहीं गिराया जा सकता। न्यायाधीशों ने सरकार से पूछा कि क्या वे इस मामले में एक नीति बनाने को तैयार हैं। अगर नीति बनाने को तैयार नहीं हैं तो न्यायालय भारी जुर्माना लगाना शुरू कर सकता है। यह सुनवाई एक याचिका पर चल रही थी, जिसमें केंद्र सरकार ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के उस आदेश को चुनौती दी थी

जिसमें एक सेवानिवृत्त रेडियो फिटर को विकलांगता पेंशन प्रदान की गई थी। न्यायाधीशों ने सवाल किया कि ऐसा मामला सर्वोच्च न्यायालय तक क्यों लाया जा रहा है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण से विकलांगता पेंशन से राहत पाने वाले सशस्त्र बलों के हर सदस्य को सर्वोच्च न्यायालय में लाने की आवश्यकता नहीं है। सरकार को अपील दायर करने में विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। पीठ ने कहा कि एक सैन्यकर्मी 15-20 साल तक काम करता है। अगर वह कुछ विकलांगता से ग्रस्त हो जाता है और सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के आदेश में विकलांगता पेंशन देने का निर्देश दिया जाता है, तो इन लोगों को सर्वोच्च न्यायालय में क्यों लाया जाना चाहिए?पीठ ने आगे कहा कि केंद्र सरकार को एक नीति बनानी चाहिए और सशस्त्र बलों के सदस्यों को सर्वोच्च न्यायालय में लाने से पहले कुछ जांच-पड़ताल भी करनी चाहिए

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