सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया कि स्नातकोत्तर (पीजी) मेडिकल सीटों में निवास-आधारित (domicile) आरक्षण अस्वीकार्य है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करने के कारण इसे ‘असंवैधानिक’ करार दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया कि स्नातकोत्तर मेडिकल सीटों में निवास -आधारित आरक्षण अस्वीकार्य है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करने के कारण इसे ‘असंवैधानिक’ करार दिया.की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि राज्य कोटे के अंतर्गत पीजी मेडिकल कॉलेजों में निवास आधारित आरक्षण प्रदान करना ‘संवैधानिक रूप से अस्वीकार्य’ है.
पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में निवास-आधारित आरक्षण स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है. हम सभी भारत के क्षेत्र में निवास करते हैं. प्रांतीय या राज्य डोमिसाइल जैसा कुछ नहीं है. केवल एक निवास है, हम सभी भारत के निवासी हैं. हमें भारत में कहीं भी निवास चुनने और देश में कहीं भी व्यापार और नौकरी करने का अधिकार है.’
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान हमें भारत भर के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश चुनने का अधिकार देता है, लेकिन किसी विशेष राज्य के निवासियों को मेडिकल कॉलेजों सहित शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ केवल एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में एक निश्चित डिग्री तक ही दिया जा सकता है. अदालत ने कहा, ‘लेकिन पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के महत्व को देखते हुए डोमिसाइल के आधार पर उच्च स्तर पर आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा.’
हालांकि, पीठ ने यह स्पष्ट किया कि यह निर्णय पहले से दिए गए डोमिसाइल आरक्षण को प्रभावित नहीं करेगा और जो छात्र पीजी पाठ्यक्रम कर रहे हैं और जो पहले से ही इस तरह के डोमिसाइल श्रेणी से उत्तीर्ण हैं, वे इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगे.की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत 2019 में चंडीगढ़ के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पीजी प्रवेश के संबंध में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा किए गए संदर्भ का जवाब दे रही थी.
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