रायबरेली राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़के प्रभारी अधिकारी शिवशंकर वर्मा (बीएससी एजी) बताते हैं कि धान की फसल के लिए पानी की ज्यादा आवश्यकता होती है. इसीलिए सूखा प्रभावित क्षेत्र में धान की इन उन्नतशील प्रजातियों की खेती करके किस अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. क्योंकि यह प्रजातियां सूखा प्रभावित क्षेत्र के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं.
कम पानी एवं सूखा प्रभावित क्षेत्र के लिए हैदराबाद चावल अनुसंधान निदेशालय द्वारा विकसित किया गया स्वर्ण शक्ति धान रोग एवं कीट प्रतिरोधी होता है. इसमें भरपूर मात्रा में आयरन, विटामिन एवं मिनरल्स पाए जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते है. 115 से 120 दिन के अंतराल में पककर तैयार होने वाला यह धान प्रति हेक्टेयर 45 से 50 क्विंटलपैदावार देता है. स्वर्ण पूर्वी 1 धान कम पानी एवं सूखा प्रभावित क्षेत्र के लिए बेहद उन्नतशील प्रजाति का धान होता है.
यह एक ऐसी प्रजाति है, जिसकी पत्तियों पर झुलसा रोग प्रभावी नहीं होता है. 125 से 130 दिन के अंतराल में तैयार होने वाली यह धान की फसल 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर कि दर से पैदावार देती है. सूखा प्रभावित एवं कम पानी वाले क्षेत्र के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित की गई पूसा सुगंध 5 प्रजाति सूखा क्षेत्र के लिए उन्नतशील प्रजाति मानी जाती है. 120 से 125 दिन के अंतराल में पककर तैयार होने वाली यह फसल 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर कि दर से पैदावार देती है.
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