प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के दौरान अभिनेत्री और सांसद हेमा मालिनी संगम तट पर पवित्र डुबकी लगाएंगी. यह उनके धार्मिक यात्रा और जल संरक्षण के संदेश को बढ़ावा देगी.
प्रयागराज को तीर्थों का राजा कहा जाता है, और यहां स्नान का महत्व महाभारत, रामायण और पुराणों में भी बताया गया है. महाकुंभ 2025 के खास मौके पर अभिनेत्री और मथुरा की सांसद हेमा मालिनी संगम तट पर पवित्र डुबकी लगाएंगी. उनका प्रयागराज में आना श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बनेगा. उनकी उपस्थिति गंगा, यमुना, और सरस्वती के पवित्र संगम के महत्व को और अधिक बढ़ाएगी. मान्यता है कि संगम में स्नान करने से जीवन के सभी पाप धुल जाते हैं, आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है.
हिंदू धर्म में त्रिवेणी संगम का आध्यात्मिक महत्व है. संगम में स्नान मानसिक शांति, सकारात्मकता और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है. हेमा मालिनी की उपस्थिति का प्रभाव हेमा मालिनी संगम स्नान के साथ-साथ गंगा की महत्ता और जल संरक्षण का संदेश दे सकती हैं. उनके इस कदम से नमामि गंगे अभियान को बढ़ावा मिलने की संभावना है. उनकी धार्मिक यात्रा भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति सम्मान को दर्शाती है. उनकी उपस्थिति श्रद्धालुओं और प्रशंसकों को महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगी. एक प्रमुख हस्ती के रूप में, वे गंगा के संरक्षण और स्वच्छता का संदेश भी प्रभावी रूप से पहुंचा सकती हैं. महाकुंभ का आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. हेमा मालिनी जैसी हस्तियों की भागीदारी भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपराओं को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने में मददगार होगी. हेमा मालिनी का संगम स्नान श्रद्धालुओं के लिए एक प्रेरणादायक क्षण होगा और महाकुंभ 2025 की भव्यता को बढ़ाएगा. यह आयोजन न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक बनेगा, बल्कि पर्यावरणीय जागरूकता और सामाजिक एकता का संदेश भी देगा. महाकुंभ का पहला स्नान कब है? साल 2025 में महाकुंभ के दौरान 6 शाही स्नान तिथियां पड़ेंगी जिसे अब अमृत स्नान कहा जाएगा. पहला अमृत स्नान पौष पूर्णिमा तिथि को होगा, जिस दिन से महाकुंभ की शुरुआत भी हो रही है. 13 जनवरी 2025 को अमृत स्नान से महाकुंभ की शुरुआत होगी
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