सीरिया के जमाल्का शहर में 2013 में केमिकल अटैक में करीब 2 हजार लोग मारे गए थे। 11 साल बाद भी शहर वीरान है।
सीरिया के राजधानी दमिश्क के पास जमाल्का में रहने वाले मोहिद्दीन खाबून गहरी नींद में थे। अचानक तेज धमाके से नींद टूटी। मोहिद्दीन को ऐसे धमाके सुनने की आदत हो चुकी थी, लेकिन इस बार उन्हें अलग महसूस हुआ। आंखों में तेज जलन हुई और मोहिद्दीन खाबून और उनके जैसे हजारों लोग जमाल्का में हुए केमिकल अटैक के जिंदा गवाह हैं। अगस्त, 2013 में राष्ट्रपति बशर-अल-असद की सेना ने इस शहर पर जहरीली गैस वाले बम गिराए थे। करीब 2 हजार लोग मारे गए। सीरिया में तब तक गृह युद्ध शुरू हुए दो साल हो चुके थे। फ्री सीरियन
आर्मी और असद की सेना में जंग चल रही थी। जंग में पहली बार असद सरकार ने अपने लोगों पर ही केमिकल बम गिराए थे। उनका कसूर बस ये था कि वे विद्रोही गुट के कब्जे वाले इलाके में रह रहे थे। असद सरकार ने मान लिया कि ये लोग उसके खिलाफ और फ्री सीरियन आर्मी के साथ हैं। जमाल्का 11 साल बाद भी वीरान है।8 दिसंबर को विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम यानी HTS ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया था। असद की सरकार नहीं रही। उसके सत्ता में रहते हुए केमिकल अटैक वाले इलाकों तक पहुंचना और मारे गए लोगों की कहानी जानना नामुमकिन था। असद के रूस भागने के बाद दैनिक भास्कर इन इलाकों में पहुंचा है। यहां उन लोगों से बात की, जिनके पूरे परिवार केमिकल अटैक में खत्म हो गए। जमाल्का शहर दमिश्क से करीब 15 किमी दूर है। शहर में घुसते ही दोनों तरफ टूटी इमारतें दिखती हैं। यहां रहने वाले लोग अब अपने ही देश में रिफ्यूजी हैं और सीरिया के अलग-अलग हिस्सों या दूसरे देशों में बस गए हैं। कुछ लोग हैं, जो शहर नहीं छोड़ पाए। इसलिए इन्हीं खंडहरों में रह रहे हैं। लोहे की दुकान पर काम करने वाले अम्मार रिजे की आंखों से हमेशा पानी बहता रहता है। ये आंसू नहीं हैं। आंसू तो बहुत पहले सूख चुके। केमिकल बम की वजह से उनकी आंखों में ये दिक्कत हुई है। कई डॉक्टर्स को दिखाया, लेकिन इलाज नहीं हो सका
CHEMICAL ATTACK SYRIA JEMALKA CIVIL WAR BASHA AL-ASSAD
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