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2-3 दिसंबर 1984 की रात भोपाल के यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से हुई मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव को मानव इतिहास की सबसे भीषण औद्योगिक आपदा के रूप में याद किया जाता है. इस त्रासदी ने हजारों जानें लीं और लाखों लोगों के जीवन को स्थायी रूप से प्रभावित किया. चार दशकों बाद भी, इस त्रासदी का दंश पीड़ितों के स्वास्थ्य पर बना हुआ है.
ये आंकड़े बताते हैं कि जहां गैस की वजह से हुई बीमारियों की दरें अभी भी ऊंची बनी हुई हैं, वहीं कई नई बीमारियां हैं जो आम रोगियों की तुलना में त्रासदी की चपेट में आए लोगों में काफी अधिक दर में पाई जा रही हैं. बता दें कि संभावना ट्रस्ट एक पंजीकृत गैर सरकारी संगठन है, जिसे भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों की स्वास्थ्य देखभाल के उद्देश्य से स्थापित किया गया था. ट्रस्ट का दावा है कि पिछले 28 वर्षों में संभावना द्वारा संचालित क्लीनिक ने 37 हजार से अधिक व्यक्तियों को लंबे समय तक चिकित्सा प्रदान की है.प्रेस वार्ता में क्लीनिक की चिकित्सक डॉ. उषा आर्या ने बताया, ‘गैस कांड के पीड़ित रोगियों में सांस संबंधी बीमारियों की दरें काफी अधिक है. गैस कांड के पीड़ित रोगियों में अवसाद 2.7 गुना अधिक पाया गया.
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