तुंगनाथ चतुर्वेदी ने 1999 में मथुरा छावनी रेलवे स्टेशन पर ₹20 की टिकट रियायत पर केस दर्ज कर 24 साल तक लड़ाई लड़ी।
1999 में मथुरा छावनी रेलवे स्टेशन पर तुंगनाथ चतुर्वेदी ने टिकट खरीदा. लेकिन, उन्हें ₹20 कम दिए गए. यह छोटी सी गलती तुंगनाथ के लिए नागरिक अधिकार ों के सम्मान का सवाल बन गई. तुंगनाथ चतुर्वेदी ने ₹20 के इस विवाद को हल्के में लेने के बजाय रेलवे के खिलाफ कोर्ट में केस दर्ज किया. यह कदम उनके दृढ़ निश्चय और न्याय के प्रति उनके विश्वास को दिखाता है. इस मामले में कोर्ट में 24 सालों तक लड़ाई चली. इस दौरान 100 से ज्यादा सुनवाई हुईं, लेकिन तुंगनाथ कभी पीछे नहीं हटे.
उन्होंने दिखा दिया कि सच्चाई और न्याय के लिए धैर्य सबसे बड़ी ताकत है. 24 सालों की लंबी लड़ाई के बाद 2022 में कोर्ट ने रेलवे को आदेश दिया कि वह तुंगनाथ को ₹20 लौटाए. साथ ही, उस रकम पर सालाना 12% ब्याज और ₹15,000 हर्जाने का भुगतान करने का भी निर्देश दिया. इस पूरी लड़ाई के बाद तुंगनाथ को ₹15,060 की रकम मिली. यह राशि उनकी जीत का प्रतीक है, जो उन्होंने अपने अधिकारों के लिए लड़ी. तुंगनाथ चतुर्वेदी ने इस मामले के जरिए साबित किया कि नागरिक अधिकारों की लड़ाई कभी छोटी नहीं होती. उनकी दृढ़ता हर नागरिक के लिए एक प्रेरणा बन गई
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