इस मामले की सुनवाई करने वाली सात सदस्यीय संविधान पीठ के अगुआ चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं. इसका मतलब है कि टेक्निकली आज यानी शुक्रवार को उनका आखिरी वर्किंग डे है.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसख्यंक दर्जे पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. कोर्ट का कहना है कि एएमयू का अल्पसंख्यक का दर्जा बरकरार रहेगा. कोर्ट ने 4-3 के बहुमत से यह फैसला सुना दिया है. इस मामले पर सीजेआई समेत चार जजों ने एकमत फैसला दिया है जबकि तीन जजों ने डिसेंट नोट दिया है. मामले पर सीजेआई और जस्टिस पारदीवाला एकमत हैं. वहीं, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा का फैसला अलग है.
सुप्रीम कोर्ट ने 1967 में कहा कि एएमयू एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी है. लिहाजा इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता. कोर्ट के फैसले का अहम बिंदू यह था कि इसकी स्थापना एक केंद्रीय अधिनियम के तहत हुई है ताकि इसकी डिग्री की सरकारी मान्यता सुनिश्चित की जा सके. अदालत ने कहा कि अधिनियम मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रयासों का परिणाम तो हो सकता है लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि विश्वविद्यालय की स्थापना मुस्लिम अल्पसंख्यकों ने की थी.
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