विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली का दौर जारी है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस बड़े पैमाने पर बिकवाली की मुख्य वजह डॉलर इंडेक्स की मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी है. हालांकि, घरेलू बाजार में सुधार के संकेत और सरकार द्वारा उठाए गए विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने वाले कदमों से आशा है कि आगे चलकर FII की बिकवाली की रफ्तार धीमी हो सकती है.
नई दिल्ली. विदेशी संस्थागत निवेश कों द्वारा भारत ीय शेयर बाजार में बिकवाली का दौर जारी है. फरवरी 7 तक, FII s ने कैश सेगमेंट में शुद्ध रूप से ₹9,090 करोड़ की निकासी की है. हालांकि, उन्होंने प्राइमरी मार्केट इश्यू के जरिए ₹1,478 करोड़ का निवेश किया, लेकिन कुल मिलाकर उनकी गतिविधियां बिकवाली की ओर झुकी हुई हैं. मार्केट डेटा के अनुसार, साल 2025 में अब तक FII s ने भारत ीय इक्विटी बाजार से कुल ₹90,993 करोड़ निकाले हैं.
वहीं, दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत से भी निवेशकों का आत्मविश्वास बढ़ सकता है. विजयकुमार का कहना है कि “भारतीय बाजार का दीर्घकालिक रुख देश की जीडीपी ग्रोथ और कॉरपोरेट अर्निंग्स की मजबूती पर निर्भर करेगा.” भारत की मजबूती और सरकार के कदम बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक स्तर पर ट्रे़ड वॉर, संभावित अमेरिकी टैरिफ और बढ़ती महंगाई के बावजूद भारत आर्थिक मोर्चे पर मजबूत स्थिति में है.
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