इसरो का महत्वकांक्षी अंतरिक्ष मिशन स्पेडेक्स सोमवार रात 10 बजे लॉन्च होगा। मिशन का लक्ष्य पृथ्वी की कक्षा में दो सैटेलाइट्स को जोड़ना और इलेक्ट्रिक पावर ट्रांसफर करने की तकनीक का परीक्षण करना है।
इसरो ( ISRO ) ने अपने महत्वकांक्षी अंतरिक्ष मिशन स्पेडेक्स को दो मिनट आगे बढ़ा दिया है। इसरो का यह मिशन उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम में मील का पत्थर साबित होगा। पहले इसरो अपने स्पेस डॉकिंग मिशन स्पेडेक्स की लॉन्चिंग सोमवार रात 9.
58 पर करने वाला था, लेकिन अब यह लॉन्चिंग दो मिनट की देरी से रात 10 बजे होगी। हालांकि लॉन्चिंग के समय में इस बदलाव की वजह इसरो ने नहीं बताई है। इसरो ने सोमवार को एक अपडेट में कहा, 'लॉन्च का दिन आ गया है। आज रात ठीक 10 बजे, स्पेडेक्स और नए पेलोड के साथ पीएसएलवी-सी60 उड़ान भरने के लिए तैयार है।' भारत से पहले सिर्फ तीन देशों ने ही ये उपलब्धि हासिल की है अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, 'अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग पृथ्वी की कक्षा में डॉकिंग की भारत की क्षमता स्थापित करने के लिए एक अहम मिशन है, जो भविष्य में इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने और उपग्रह सेवा मिशनों के लिए बेहद तकनीक है।' इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि रविवार रात 9 बजे शुरू हुई 25 घंटे की उल्टी गिनती जारी है। भारत से पहले सिर्फ चीन, रूस और अमेरिका ही स्पेस डॉकिंग का सफल परीक्षण कर चुके हैं। भारत के चंद्रयान-4 मिशन की कामयाबी भी स्पेडेक्स मिशन पर निर्भर है। स्पेडेक्स लॉन्चिंग का इसरो के यूट्यूब चैनल पर रात साढ़े नौ बजे से सीधा प्रसारण किया जाएगा। क्या है स्पेस डॉकिंग मिशन और क्यों है ये अहम इस मिशन के तहत इसरो पृथ्वी की निचली कक्षा में दो छोटे सैटेलाइट्स (उपग्रहों) को आपस में जोड़ा जाएगा। साथ ही उपग्रहों को जोड़ने के बाद उनमें इलेक्ट्रिक पावर ट्रांसफर करने की तकनीक का भी परीक्षण किया जाएगा। यह मिशन कितना चुनौतीपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है पृथ्वी की कक्षा में छोड़ने के बाद सैटेलाइट्स की गति करीब 28,800 किलोमीटर प्रतिघंटे होगी। यह गति कमर्शियल विमान की रफ्तार से 36 गुना ज्यादा और गोली की गति से भी 10 गुना ज्यादा होगी। इस गति में दोनों उपग्रहों की गति को पहले जमीन से ही नियंत्रित कर उसे 0.25 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार पर लाया जाएगा और फिर दोनों उपग्रहों को आपस में जोड़ दिया जाएगा
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